
कर्नाटक की एक विशेष अदालत ने शनिवार को पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना को रेप के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई। रेवन्ना, जो पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के पोते हैं, को हासन जिले के होलेनरसीपुरा स्थित फार्महाउस में एक 47 वर्षीय घरेलू नौकरानी से बलात्कार का दोषी पाया गया।
इतना ही नहीं, कोर्ट ने उन पर ₹5 लाख का जुर्माना भी ठोंका। और परिवार…? सुनवाई के दिन कोर्ट में उनकी कुर्सी भी अनाथ लग रही थी।
सेक्स टेप से सनसनी, फिर SIT की सर्जरी!
रेवन्ना पर मामला तब बना जब उनके महिलाओं के साथ अश्लील वीडियो वायरल हुए। सोशल मीडिया पर तो जैसे जेडीएस के इस ‘डिजिटल डॉन’ की फुल फिल्मी सीरीज़ चल पड़ी थी।
कर्नाटक सरकार ने तुरंत SIT (Special Investigation Team) बनाई, जिसने अगस्त 2024 में एक 2144 पेज की चार्जशीट दाखिल की। यानी एक रेप केस, पर रिपोर्ट पूरी एक उपन्यास जैसी।
जर्मनी की टिकट, लेकिन गुनाह से रिहाई नहीं!
वीडियो वायरल होते ही रेवन्ना विदेश (जर्मनी) भाग गए थे। लेकिन भाग्य उनका उतना तेज़ नहीं निकला जितनी तेज़ थी उनके खिलाफ पीड़ितों की आवाज़। 31 मई 2024 को जैसे ही वो भारत लौटे, बेंगलुरु एयरपोर्ट पर गिरफ्तारी हुई।
जन प्रतिनिधियों की अदालत का तमाचा
ये फैसला उस देश में मिसाल बनेगा जहां राजनीति का मतलब कई बार ‘पावर का लाइसेंस’ समझ लिया जाता है। अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया कि कोई कितना भी बड़ा नेता क्यों न हो, बलात्कार जैसे अपराध की कोई माफी नहीं।
राजनीति में चरित्र का प्रमोशन जरूरी है
प्रज्वल रेवन्ना का मामला केवल एक व्यक्ति का अपराध नहीं है, बल्कि यह भारतीय राजनीति में नैतिक पतन की एक क्रूर मिसाल है। उम्मीद की जानी चाहिए कि ऐसे फैसले बाकी नेताओं के लिए “Warning Shot” बनें।