लोहिया बाबा का समाजवाद योगी की तारीफ़ कर दी… और हिल गया?

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

समाजवादी पार्टी से निष्कासन के बाद विधायक पूजा पाल ने तीखा हमला बोलते हुए कहा कि पार्टी में अब सच बोलने पर भी महिलाओं को अपमानित किया जाता है।

X (पूर्व Twitter) पर एक भावनात्मक ट्वीट में उन्होंने सवाल उठाया – “अगर मेरे लिए बोले गए अपमानजनक शब्दों में से एक-दो शब्द माफिया के लिए भी बोले जाते तो?”
यह लाइन सीधा-सीधा अतीक अहमद जैसे चेहरों की ओर इशारा करती है, जिनका नाम उनके पति की हत्या से जुड़ चुका है।

निष्कासन की वजहें: योगी की तारीफ और पार्टी लाइन की अवहेलना

पूजा पाल का निष्कासन केवल एक ट्वीट से नहीं हुआ।

साल 2024 के राज्यसभा चुनाव में की गई क्रॉस-वोटिंग, और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की खुले मंच से तारीफ — समाजवादी पार्टी की नज़रों में ये पार्टी अनुशासन के खिलाफ थी।

लेकिन सवाल ये उठता है — क्या एक महिला विधायक को सिर्फ इसलिए बाहर कर देना सही है क्योंकि उसने न्याय की बात की?

“मैं माफिया से नहीं डरती” – पूजा का साहसिक बयान

पूजा पाल ने कहा, “मैं अतीक अहमद से नहीं डरी, तो अब सच बोलने से क्यों पीछे हटूँ?”

उनका कहना है कि उन्होंने योगी सरकार की तारीफ़ सिर्फ इसलिए की क्योंकि उन्होंने उनके पति की हत्या के केस में न्याय सुनिश्चित किया। लेकिन पार्टी ने इसे “विरोध” मान लिया।

अब सवाल उठता है — क्या सच बोलना समाजवाद के खिलाफ हो गया है?

शिवपाल यादव का तीखा पलटवार: “अब पूजा पाल कभी विधायक नहीं बन पाएंगी”

पूजा के बयानों पर सपा नेता शिवपाल यादव ने तल्ख़ टिप्पणी की:

“पूजा पाल का हाल भी केशव मौर्य जैसा होगा। अब कभी विधायक नहीं बनेंगी।”

मतलब ये कि जो पार्टी से निकले, उनके राजनीतिक भविष्य पर अब पार्टी publicly ठप्पा लगा रही है। सवाल ये भी उठता है — क्या पार्टी में महिला नेताओं के लिए इतनी सख्ती जायज़ है?

समाजवाद का नया व्याकरण?

पूजा पाल की बातों में एक बात साफ़ झलकती है — समाजवादी पार्टी में आज भी “एक वर्ग विशेष को खुश करने की राजनीति” का आरोप लग रहा है।

वो पूछती हैं:

“कैसा समाजवाद है यह, जिसमें माफिया की तो इज़्ज़त है, पर महिला की बात को बगावत मान लिया जाता है?”

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