ये इंडिया है मेरी जान यहाँ- टिक-टिक की नहीं, ट्रिक-ट्रिक की राजनीति है

आशीष शर्मा (ऋषि भारद्वाज)
आशीष शर्मा (ऋषि भारद्वाज)

Politics में अगर कुछ “यूं ही” लगता है, तो समझ लीजिए वो पहले ही किसी मीटिंग में “यूं ही सेट” किया जा चुका है। यहां बारिश भी अचानक नहीं होती, उसके पीछे भी प्रेस कॉन्फ़्रेंस, कैमरा एंगल और सोशल मीडिया टीम की दुआएँ लगी होती हैं।

टाइमिंग = Planning + Acting + थोड़ा सा Drama

कोई नेता अचानक सड़क पर दौड़ते हुए दिख जाए?
नहीं भाई, यह “अचानक” नहीं—यह 3 कैमरे, 2 एडिटर और 1 सीनियर सोशल मीडिया मैनेजर का आशीर्वाद होता है।

और आम जनता सोचती रहे- “वाह! कितना ग्राउंडेड नेता है!”
जी नहीं, यह ground reality नहीं, ground strategy है।

कोई बयान कभी ‘गलती से’ नहीं होता

राजनीति में ‘गलती से बोला गया बयान’ भी हल्की मुस्कुराहट, दो बार रिहर्सल और चार बार fact-check (अपने हिसाब से) के बाद बाहर आता है।

ऐसे बयान पब्लिक के लिए shock और पार्टी के लिए stock होते हैं— जैसे ही ज़रूरत पड़ी, निकालकर फेंक दिया!

हर कदम का Target Audience पहले से तय

राजनीति में “सही समय” वही है जब कैमरे ऑन हों और पार्टी वॉर-रूम WhatsApp groups पर हरी बत्ती दे दे।

 किसानों के बीच जाना?
Season देखकर।
मंदिर/मस्जिद के बाहर दिखना?
Election देखकर।
प्रेस कॉन्फ़्रेंस करना?
Opposition की गलती देखकर।

Timing = Public Emotion × Party Interest

राजनीति में Coincidence नाम की कोई चीज़ नहीं

कभी notice किया?
ED की रेड भी टाइम देखकर होती है। बयान भी मूड देखकर आते हैं। गठबंधन भी मौसम देखकर बदलते हैं।

इसको कहते हैं:
Chaand dekh ke chaal चलना – Political Edition

सच्चाई यह है… टाइमिंग नहीं, पूरा Script लिखी होती है

जो हम देखते हैं वह बस trailer है, Movie तो पहले ही लिखी जा चुकी होती है। पॉलिटिक्स में हर पल curated होता है।
कौन कब बोलेगा, किसके साथ दिखेगा, कौन सा मुद्दा कब फूलेगा और जनता क्या सोचेगी।

Everything is Calculated, Calibrated, Coordinated.

टाइमिंग GPS से चलती है

राजनीति में टाइमिंग सिर्फ़ टाइमिंग नहीं, पॉवर का टाइम-मैनेजमेंट सिस्टम है। Public को जो दिखाई देता है वो बस scene है, Director, Script और Background संगीत कहीं और चलता है।

Related posts

Leave a Comment