
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK), यानी वो हिस्सा जो भारत का अभिन्न अंग है लेकिन 1947-48 के युद्ध के बाद से पाकिस्तान के कब्जे में है। आज यह हिस्सा फिर से चर्चा में है — राजनीतिक गलियारों से लेकर सेना की रणनीति तक। लेकिन सवाल है, POK भारत के लिए इतना ज़रूरी क्यों है?
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सामरिक महत्व: दुश्मन की निगाह और भारत की तैयारी
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LOC का सीधा नियंत्रण:
POK भारत की सीमाओं को रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण बनाता है। इसका नियंत्रण भारतीय सेना को सुरक्षा के लिहाज से ऊँचाई वाले इलाकों पर बढ़त देता है। -
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC):
गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र से होकर जाने वाला यह कॉरिडोर भारत की सार्वभौमिकता का सीधा उल्लंघन करता है। यही कारण है कि भारत बार-बार CPEC पर आपत्ति जताता है। -
सीमा से सटे टेरर लॉन्चपैड्स:
यही क्षेत्र पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का गढ़ बन चुका है। POK से सटे क्षेत्र में टेररिस्ट ट्रेनिंग कैंप्स और घुसपैठ का सिलसिला लगातार जारी रहता है।
ऐतिहासिक और संवैधानिक दावा
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1947 के कश्मीर विलय दस्तावेज़ के अनुसार, पूरा जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा है। पाकिस्तान द्वारा कब्ज़ा किया गया हिस्सा अवैध है।
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भारत की संसद ने 1994 में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कर कहा कि POK भारत का हिस्सा है और उसे वापस लिया जाएगा।
POK की जनता का मन: क्या वे भारत के साथ आना चाहते हैं?
हाल के वर्षों में POK में जनता का असंतोष बढ़ा है:
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गिलगित-बाल्टिस्तान में चुनावों में धांधली और सैन्य दमन
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बुनियादी सुविधाओं की कमी: बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है
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स्वायत्तता की मांग
सोशल मीडिया और ज़मीनी रिपोर्ट्स इस बात की ओर इशारा करती हैं कि लोग पाकिस्तान से ऊब चुके हैं और भारत जैसे लोकतंत्र की तरफ देख रहे हैं।
भारत की रणनीति: युद्ध नहीं, अब कूटनीति और मनोवैज्ञानिक बढ़त
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अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आक्रामक रुख
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अमित शाह का संसद में बयान: “POK भी भारत का है और उसे वापस लाएंगे”
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सेना की सतत निगरानी और LOC पर बेहतर तैयारी
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अंदर से कमजोर हो रहे पाकिस्तान पर बढ़ता मनोवैज्ञानिक दबाव
POK भारत के लिए सिर्फ एक ज़मीन का टुकड़ा नहीं, बल्कि सुरक्षा, इतिहास और सम्मान का सवाल है। यह क्षेत्र भारत की भौगोलिक और भावनात्मक अखंडता से जुड़ा है।
भारत इसे वापस लाने की किसी भी संभावना को छोड़ेगा नहीं – चाहे वो रणनीति से हो, कूटनीति से या जनता के मन से।