
6-7 मई की दरम्यानी रात भारत की सशस्त्र सेनाओं ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और POK के भीतर नौ आतंकी ठिकानों को तबाह किया — और सुबह होते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट मीटिंग में “आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस” का मंत्र दोहरा दिया।
ऑपरेशन सिंदूर: जानिए कंधार और ओसामा बिन लादेन से क्या है कनेक्शन
राजनाथ सिंह ने जब इस ऑपरेशन का ब्योरा सुनाया, तो पूरी कैबिनेट मेज थपथपाने में मशगूल हो गई — जैसे संसद में बेमौसम तालियों की फसल लहलहा रही हो। शायद ये वही मेजें थीं, जो पहले केवल योजनाओं की फाइलें झेलती थीं — अब मिसाइल नीति पर भी तालियां बजा रही हैं।
पाकिस्तान में तबाही, दिल्ली में रणनीति
बहरहाल, यह एक महज़ ‘प्रेस रिलीज़ युद्ध’ नहीं था। ऑपरेशन सिंदूर ने बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय, और मुरीदके में लश्कर का किला मलबे में बदल दिया।
PM मोदी पहले ही सेना को पूरी छूट दे चुके थे — “तारीख, समय और तरीका” तय करने के लिए। यानी आतंक के खिलाफ अब “आश्वासन” नहीं, एक्शन का भारत वर्ज़न 2025 लाइव हो चुका है।
PM मोदी + अजीत डोभाल: एक और रणनीतिक चर्चा
सूत्रों के अनुसार, पीएम मोदी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और एनएसए अजीत डोभाल के साथ अलग से बातचीत की। चर्चा ये नहीं थी कि “पाक ने क्या कहा”, बल्कि यह कि अगली रणनीति क्या होनी चाहिए। मतलब, पाकिस्तान की कूटनीति की चाय अब भारत के स्ट्राइक कॉफी से फीकी लगने लगी है।
पहलगाम हमले का जवाब — शब्दों में नहीं, शौर्य में
26 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 नागरिकों की जान गई। भारत ने जवाब दिया — रोज की निंदा से हटकर, एक मिसाइल-भाषा में जो पाकिस्तान भी पढ़ सके।
और अब…
जिसने IC-814 के बदले मसूद अजहर छोड़ा था,
वही भारत अब उसके गढ़ को खाक कर रहा है।
“अब पॉलिटिकल नारों से नहीं, पिनपॉइंट स्ट्राइक्स से बदला लिया जाएगा।”