ट्रंप टैरिफ के बीच “मोदी इन चाइना: गलवान से गुड वाइब्स तक का सफर!”

सुरेन्द्र दुबे ,राजनैतिक विश्लेषक
सुरेन्द्र दुबे ,राजनैतिक विश्लेषक

“दूरियां बढ़ीं तो दिल भी जुदा हो गए…” …लेकिन अब प्रधानमंत्री मोदी गलवान के बाद पहली बार चीन की धरती पर कदम रखेंगे। वहीं शी जिनपिंग सोच रहे हैं – “क्या ये वही भारत है जो 2020 में आंख दिखा गया था?”

ट्रंप ने किया टैरिफ का ट्रेलर, मोदी दिखाएंगे कूटनीति का फीचर फिल्म

जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ ठोका, तो मोदी जी बोले – “अरे भाई, ये क्या मुंहदेखी दोस्ती है?” जवाब में उन्होंने डिप्लोमैटिक मास्टरस्ट्रोक चलाते हुए बैग पैक कर लिया – गंतव्य: चीन और जापान

यानी “ट्रंप का टैरिफ, मोदी की ट्रिप!”

मोदी-जिनपिंग मीटिंग: गलवान के बाद, गले मिलने का प्रयास?

SCO समिट में PM मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात वही मोमेंट हो सकती है जिसका इंतज़ार 2020 से था – जब गलवान में “पत्थर चले, डंडे चले, और दिलों में बर्फ जम गई थी।”

अब चर्चा है कि सीमा विवाद पर “शांति की चाय पर चर्चा” होगी – बिना कड़क हुए!

ट्रंप के टैरिफ के बीच कूटनीति की चाइनीज़ चाय

ट्रंप ने जब भारत को व्यापार में झटका दिया, मोदी जी तुरंत निकले “पूर्व की ओर नीति” लेकर। SCO समिट में शामिल होकर वे चीन, रूस और मध्य एशिया को फिर से “दोस्ती की लातें नहीं, बातों से” जोड़ने जा रहे हैं।

इसके अलावा जापान भी इस दौरे में शामिल है – यानी चायनीज़ मंच और जापानी मिक्स सॉस… डिप्लोमैसी का नया स्वाद!

भारत-चीन: आज़ादी से अब तक – रिश्तों की ‘चीनी-नमकीन’ कहानी

1947 में भारत आज़ाद हुआ, 1950 में चीन ने सोचा – “चलो दोस्ती करते हैं”।
1954 में पंचशील समझौता – फिर 1962 में ऐसा पंच मारा कि दोस्ती की शीशियाँ टूट गईं।
सालों तक रिश्ते “ना ताली, ना गाली” वाले रहे।
2017 में डोकलाम, फिर 2020 में गलवान – और अब 2025 में नया प्रयास – “गलवान टू गुड वाइब्स!”

इंडिया वर्सेस चाइना: “हाथी धीमे चले, ड्रैगन धुआं उड़ाए”

  • चीन सोचता है: “हम हाई स्पीड ट्रेन बनाते हैं”

  • भारत जवाब देता है: “हम स्लो लेकिन स्टेबल हैं भइया!”

मोदी की इस यात्रा का मकसद न केवल व्यापार घाटा कम करना है, बल्कि हिंद महासागर में ड्रैगन के पानी में ज्यादा बुलबुले ना बनें – इस पर भी काम होगा।

क्या निकल सकता है इस यात्रा से?

गलवान के बाद द्विपक्षीय भरोसे की टेस्टिंग

SCO समिट में आतंकवाद और सुरक्षा पर रणनीति

भारत-चीन व्यापार घाटे की कैलकुलेशन

अमेरिका को “हम केवल तुम्हारे नहीं हैं” का संकेत

रूस-चीन-जापान के साथ संतुलन की डिप्लोमैटिक मल्लखंभ

“वोट चोरी हो रही है!” राहुल गांधी का चुनाव आयोग पर सीधा वार

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