
अज़रबैजान की विजय दिवस परेड में जब शहबाज़ शरीफ़ ने माइक संभाला, तो लगा कि अब शायद वो अपनी अर्थव्यवस्था या घरेलू संकट की बात करेंगे। पर नहीं — वो बोले “Thank You, Mr. Trump”, और पूरी दुनिया ने सिर पकड़ लिया।
अब सवाल ये है — क्या सच में ट्रंप ने बॉर्डर पर तोपें बंद करवाईं, या बस ट्विटर पर थ्रेड डालकर शांति का दावा किया?
शहबाज़ शरीफ़ का भाषण — शुक्रिया भी, संकेत भी
शहबाज़ ने कहा – “राष्ट्रपति ट्रंप की निर्णायक लीडरशिप से ही युद्ध टला और लाखों जानें बचीं।”
वाह! ऐसे बोले मानो ट्रंप ने लाइन ऑफ कंट्रोल पर हेलमेट पहनकर खुद सीज़फ़ायर बुलाया हो। अब पाकिस्तान के नेताओं का नया मंत्र है —“IMF से कर्ज़ और ट्रंप से करिश्मा, दोनों पर भरोसा रखो।”
“ट्रंप की डिप्लोमेसी: ट्वीट करो, शांति पा लो”
ट्रंप का अंदाज़ तो सब जानते हैं — जहाँ बाकी नेता बैठकें बुलाते हैं, वो वहीं ट्वीट बुला लेते हैं। दुनिया के हर संकट का हल उनके पास है — बस 280 कैरेक्टर की सीमा में।
भारत-पाक संघर्ष पर भी वही हुआ, ट्रंप ने ट्वीट किया: “Great progress with my good friends India & Pakistan!” और पाकिस्तान ने मान लिया कि युद्ध ख़त्म!
भारत का जवाब — “कृपया अपनी कल्पना का इलाज करवाएं”
भारत ने पहले भी कहा है — “कोई मध्यस्थ नहीं था, ट्रंप सिर्फ़ अपनी कहानी सुना रहे हैं।”
दिल्ली में कूटनीतिक हलकों का कहना है कि अगर ट्रंप की दखल से युद्ध टलता, तो इतिहास नहीं, हॉलीवुड उसे लिखता।
भारत की तरफ़ से आधिकारिक प्रतिक्रिया यही रही — “हमारे बॉर्डर पर सिर्फ़ सैनिक तैनात हैं, ‘डील मेकर’ नहीं।”
“ट्रंप – द पीस मैन्युफैक्चरर”
आजकल ट्रंप खुद को ‘ग्लोबल शांति दूत’ बताते हैं — जहाँ झगड़ा दिखा, वहाँ फोटो और बयान दोनों ले आए। पाकिस्तान को लगता है ट्रंप ने युद्ध रोका, पर असलियत में ट्रंप को शायद “Breaking News का शौक़” था।
अगर ट्रंप की डिप्लोमेसी चल पड़ी होती, तो अब तक कश्मीर से लेकर गाज़ा तक — सब “Under Trump Deal” चल रहा होता।

“सत्य” और “सूट” दोनों धोकर इस्त्री किए गए हैं
शहबाज़ शरीफ़ का बयान कुछ ऐसा लगा जैसे — “हमारे असली मुद्दे तो सुलझ नहीं रहे, चलो ट्रंप का नाम ले लेते हैं।”
वो जनता को दिखाना चाहते हैं कि“देखो, हमें ट्रंप सपोर्ट करता है, अब हमारी सरकार कितनी मज़बूत है!”
असलियत ये है — ट्रंप का क्रेडिट लेना आसान है, लेकिन ट्रंप पर भरोसा करना एक अलग परीक्षा है।
“दक्षिण एशिया की शांति – अब अमेरिकी रीट्वीट पर निर्भर?”
दुनिया देख रही है — जहाँ अमेरिका खुद अपनी लड़ाइयों में उलझा है, वहीं पाकिस्तान उसे Peace Broker घोषित कर रहा है।
शायद अगली बार शहबाज़ शरीफ़ ये भी कह दें — “डोनाल्ड ट्रंप ने ही हमारे बजट भाषण को एडिट किया।”
“शहबाज़ शरीफ़ को अब हर Speech के अंत में Disclaimer देना चाहिए — ‘इस बयान में कल्पना और वास्तविकता का अनुपात ट्रंप की ट्वीट्स जितना है।’”
ट्रंप ने जो किया वो शायद PR Exercise था, पर पाकिस्तान ने उसे Peace Achievement बना दिया।
दुनिया की राजनीति अब इस मोड़ पर है — जहाँ “सीज़फ़ायर” नहीं होता, बल्कि “सीज़ द कैमरा मोमेंट” होता है।
“Hello India! मैं बस फोटो थी, फर्जी वोट नहीं” — ब्राजीलियन मॉडल का जवाब
