Pakistan-Afghanistan को न दोस्ती छोड़नी है, न धमकी कम करनी है!

साक्षी चतुर्वेदी
साक्षी चतुर्वेदी

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को साफ कहा कि इस्लामाबाद अफगानिस्तान से तनाव नहीं चाहता, लेकिन अगर किसी भी तरह का हमला या उकसावा हुआ तो जवाब “पूरी ताक़त से” दिया जाएगा।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ताहिर अंद्राबी ने अपने साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में कहा — “पाकिस्तान ने अब तक शांति वार्ता में बेहद सकारात्मक भूमिका निभाई है। हमारा मकसद टकराव नहीं, स्थिरता है।”

उन्होंने कतर में पाकिस्तान और अफगान तालिबान के बीच हुई युद्धविराम वार्ता का जिक्र करते हुए बताया कि अगला चरण 6 नवंबर को तुर्की में होगा, जहां ceasefire की शर्तें तय होंगी।

“हम चाहते हैं शांति, पर आतंक की जमीन नहीं चलेगी”

अंद्राबी ने सख्त लहजे में कहा — “अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ किसी भी तरह के आतंकी हमले या उकसावे के लिए नहीं होना चाहिए।”

उन्होंने उम्मीद जताई कि अफगान तालिबान इस बात को समझेगा कि अगर दोनों देश एक-दूसरे की सीमाओं का सम्मान करें, तो क्षेत्र में स्थायी शांति और विकास का रास्ता खुल सकता है।

कतर और तुर्की बने ‘Peace Brokers’

पाकिस्तान ने इस वार्ता में मध्यस्थता करने के लिए कतर और तुर्की का आभार जताया। इस्लामाबाद का कहना है कि दोनों देशों की भूमिका से अफगान-पाक रिश्तों में नई शुरुआत संभव है।

“न दोस्ती छोड़नी है, न धमकी कम करनी है!”

कूटनीतिक शब्दों में कहा जाए तो पाकिस्तान फिलहाल वही पुराना राग गा रहा है — “हम शांति चाहते हैं… लेकिन बम तैयार रखे हैं।”
मतलब, डिप्लोमेसी भी चल रही है और डिटरेंस भी।

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