ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट: माओवाद की रीढ़ टूटी, बसवराजू ढेर!

सैफी हुसैन
सैफी हुसैन

भारत की नक्सल समस्या के इतिहास में आज का दिन ऐतिहासिक मोड़ बन गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की है कि छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में चलाए गए ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट में सुरक्षाबलों ने 27 खूंखार माओवादियों को ढेर कर दिया, जिनमें सबसे बड़ा नाम है — सीपीआई-माओवादी के महासचिव नंबाला केशव राव उर्फ़ बसवराजू।

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अमित शाह का बड़ा बयान

अमित शाह ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा,

“नक्सलवाद को खत्म करने की लड़ाई में यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। हमारे सुरक्षा बलों ने बसवराजू जैसे शीर्ष नक्सली नेता को ढेर कर बड़ी जीत हासिल की है। ये पहला मौका है जब किसी महासचिव स्तर के माओवादी को ऑपरेशन में मारा गया है।”

ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट: नक्सलियों की रीढ़ टूटी

यह ऑपरेशन केवल मुठभेड़ तक सीमित नहीं रहा — शाह ने आगे बताया कि इस अभियान के बाद

  • 54 माओवादियों को गिरफ़्तार किया गया है

  • 84 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है

यह दिखाता है कि नक्सली नेटवर्क को भीतर से गहरी चोट पहुंची है। तेलंगाना, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में माओवादी संगठन अब टूटने की कगार पर हैं।

बसवराजू कौन था?

नंबाला केशव राव उर्फ़ बसवराजू माओवादी आंदोलन का थिंक टैंक और रणनीतिकार माना जाता था। वह पिछले तीन दशकों से भूमिगत रहकर देश के कई राज्यों में माओवादी हिंसा का मास्टरमाइंड रहा है।

नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक मोड़?

इस ऑपरेशन के साथ भारत सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि “बंदूक की राजनीति अब नहीं चलेगी, लोकतंत्र के रास्ते ही आगे जाएंगे।”

यह सफलता न केवल सुरक्षा बलों का मनोबल बढ़ाएगी, बल्कि उन क्षेत्रों में शांति और विकास की नई शुरुआत भी करेगी जो दशकों से हिंसा की चपेट में थे।

“ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट” न केवल एक रणनीतिक जीत है, बल्कि यह संदेश भी है कि भारत अब नक्सलवाद को जड़ से उखाड़ने के निर्णायक चरण में प्रवेश कर चुका है।

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