वक्फ़ बोर्ड में अब गैर-मुस्लिम भी! केंद्र बोला: धर्मनिरपेक्ष है प्रबंधन

अजमल शाह
अजमल शाह

वक्फ एक इस्लामी संस्था है जिसमें मुस्लिम समुदाय अपनी संपत्ति धर्मार्थ कार्यों हेतु दान करता है। भारत में वक्फ़ बोर्ड इन संपत्तियों का रखरखाव करता है। लेकिन वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 में एक संशोधन के तहत अब गैर-मुस्लिम सदस्यों को बोर्ड में शामिल करने की अनुमति दी गई है, जिस पर विवाद खड़ा हो गया है।

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केंद्र की दलील: धर्म नहीं, प्रबंधन है मुद्दा

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा:

“वक्फ इस्लाम की अवधारणा है, लेकिन इसका संचालन और लेखा-जोखा एक धर्मनिरपेक्ष प्रक्रिया है। इसमें गैर-मुस्लिम सदस्य शामिल करना संविधान के अनुरूप है।”

सरकार का मानना है कि:

  • वक्फ बोर्ड का कार्य प्रबंधन और लेखा परिक्षण जैसे तकनीकी पहलुओं तक सीमित है।

  • यह धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि प्रशासनिक कार्य हैं।

  • दो गैर-मुस्लिम सदस्यों की मौजूदगी से धार्मिक चरित्र पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

याचिकाकर्ताओं की आपत्ति:

  • याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि हिंदू ट्रस्ट या मंदिर बोर्ड में गैर-हिंदुओं की नियुक्ति नहीं होती, तो वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति क्यों?

  • यह कदम धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों में हस्तक्षेप माना जा सकता है।

  • वे इसे संविधान के अनुच्छेद 26 (धार्मिक संस्थाओं का प्रबंधन करने का अधिकार) का उल्लंघन मानते हैं।

हिंदू और मुस्लिम संस्थाएं

तुषार मेहता ने इस तर्क का उत्तर देते हुए कहा:

“हिंदू मंदिरों और ट्रस्टों का संचालन धार्मिक कार्यों से जुड़ा है, जबकि वक्फ बोर्ड का कार्य अधिकतर धर्मनिरपेक्ष प्रकृति का है।”

यह एक संवेदनशील लेकिन कानूनी रूप से महत्वपूर्ण अंतर है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट को विचार करना होगा।

आगे की सुनवाई:

  • क्या वक्फ में धर्मनिरपेक्ष कार्यों का मतलब यह है कि बाहरी (गैर-मुस्लिम) हस्तक्षेप जायज़ है?

  • और क्या यह अल्पसंख्यक अधिकारों पर आंच डालता है?

बहस धर्म और लोकतंत्र की सीमाओं पर

इस मुद्दे ने दो अहम सवाल खड़े किए हैं:

  1. क्या किसी धार्मिक संस्था का प्रबंधन पूरी तरह धार्मिक माना जाए?

  2. क्या धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र में धार्मिक संस्थाओं को पूरी स्वायत्तता दी जा सकती है?

यह बहस केवल मुस्लिम समुदाय की नहीं है, बल्कि संवैधानिक अधिकार बनाम प्रशासनिक पारदर्शिता का सवाल है — जो हर नागरिक के लिए अहम है।

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