
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पलटवार की ठोस रणनीति बनानी शुरू कर दी है। बुधवार को दिनभर राजधानी दिल्ली में उच्च स्तरीय बैठकों का दौर चलता रहा। कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) और कैबिनेट कमेटी ऑन पॉलिटिकल अफेयर्स (CCPA) की बैठक के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गृहमंत्री अमित शाह और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के साथ अलग से मीटिंग की। सूत्रों के मुताबिक, इन बैठकों में पहलगाम पर जवाबी कार्रवाई का फाइनल ब्लूप्रिंट तैयार किया गया है।
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NSA बोर्ड में बड़ा बदलाव
इस रणनीति के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (NSA Board) का भी पुनर्गठन किया गया है। पूर्व रॉ प्रमुख आलोक जोशी को नया चेयरमैन बनाया गया है। इसके अलावा बोर्ड में सेना, पुलिस और विदेशी सेवा से रिटायर्ड छह वरिष्ठ अधिकारियों को भी शामिल किया गया है।
कौन-कौन हैं नए सदस्य?
बोर्ड में शामिल किए गए प्रमुख नामों में शामिल हैं:
एयर मार्शल (सेवानिवृत्त) पीएम सिन्हा – पूर्व पश्चिमी एयर कमांडर
लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) एके सिंह – पूर्व दक्षिणी सेना कमांडर
रियर एडमिरल (सेवानिवृत्त) मॉन्टी खन्ना – नौसेना अधिकारी
मनमोहन सिंह – पूर्व आईपीएस
राजीव रंजन वर्मा – पूर्व आईपीएस
बी. वेंकटेश वर्मा – सेवानिवृत्त विदेश सेवा अधिकारी
NSA बोर्ड क्यों है अहम?
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड एक थिंक टैंक की तरह काम करता है, जो सरकार को सुरक्षा नीति, रणनीति और न्यूक्लियर पॉलिसी जैसे गंभीर मामलों में सलाह देता है। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा में नई ऊर्जा, अनुभव और दृष्टिकोण को शामिल करना है।
पहलगाम हमले पर केंद्र सरकार का यह त्वरित और ठोस एक्शन बताता है कि अब केवल कड़ी निंदा नहीं, बल्कि सुनियोजित जवाब की तैयारी की जा रही है। NSA बोर्ड में अनुभवी और विशेषज्ञों को शामिल कर भारत ने साफ संकेत दिया है कि सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं होगा।
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