
पाकिस्तान और आतंकवाद, दोनों एक-दूसरे के पर्याय बन चुके हैं। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले ने इस रिश्ते को फिर से उजागर किया है। सूत्रों के मुताबिक भारत की जांच एजेंसी ने पाकिस्तान की आतंकवाद में संलिप्तता के सबूत तैयार किये हैं, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता का विषय बने हुए हैं।
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रूस: मॉस्को हमले में पाकिस्तान का लिंक
22 मार्च 2024 को मॉस्को के बाहरी इलाके में एक कॉन्सर्ट हॉल पर हुए हमले में कम से कम 145 लोगों की मौत हो गई थी। अप्रैल 2025 में जांच में पाकिस्तान का लिंक सामने आया। रूसी अधिकारियों ने मास्टरमाइंड की पहचान ताजिक नागरिक के रूप में की है और पाकिस्तान से कनेक्शन की जांच कर रहे हैं।
ईरान: जैश उल-अदल के हमले
पाकिस्तान स्थित सुन्नी चरमपंथी समूह जैश उल-अदल ने ईरान के सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत में सुरक्षा बलों पर हमले किए हैं। ईरान ने पाकिस्तान पर इन आतंकवादियों को पनाह देने का आरोप लगाया है और जवाबी कार्रवाई में मिसाइल और ड्रोन हमले किए।
ब्रिटेन: लंदन बम धमाके में पाकिस्तान का हाथ
7 जुलाई 2005 को लंदन के ट्रांसपोर्ट नेटवर्क पर हुए हमले में 52 लोग मारे गए थे। जांच में पाया गया कि हमलावरों को पाकिस्तान में ट्रेनिंग और शिक्षा मिली थी। तीन हमलावरों ने पाकिस्तान में समय बिताया था।
अमेरिका: ओसामा बिन लादेन की पनाहगाह
2011 में अमेरिका ने पाकिस्तान के एबटाबाद में अल-कायदा नेता ओसामा बिन लादेन को मार गिराया। लादेन पाकिस्तान में छिपा था, जिससे पाकिस्तान की मिलिट्री और ISI की मिलीभगत का संदेह उत्पन्न हुआ।
बांग्लादेश: ढाका कैफे हमले में ISI की भूमिका
पाकिस्तान की ISI पर बांग्लादेश के जमात-उल-मुजाहिद्दीन बांग्लादेश (JMB) को फंडिंग और ट्रेनिंग देने का आरोप है। 2016 के ढाका कैफे हमले में 20 बंधकों की हत्या के लिए JMB जिम्मेदार था।
अफगानिस्तान: तालिबान और हक्कानी नेटवर्क का समर्थन
पाकिस्तान की ISI अफगान तालिबान और हक्कानी नेटवर्क का समर्थन करती रही है, उन्हें फंड, ट्रेनिंग और सुरक्षित पनाह देती रही है। ये ग्रुप अफगान नागरिकों, सरकारी ठिकानों और अंतरराष्ट्रीय बलों पर कई घातक हमलों के लिए जिम्मेदार हैं।
पाकिस्तान की आतंकवाद में संलिप्तता के सबूत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता का विषय बने हुए हैं। भारत ने इन तथ्यों को उजागर कर पाकिस्तान की भूमिका को दुनिया के सामने रखा है। अब समय आ गया है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस पर गंभीरता से विचार करे और पाकिस्तान पर दबाव बनाए ताकि आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाए जा सकें।
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