Mock Drill: क्या स्थानीय प्रशासन तैयार है या फिर फिर से वही “All Is Well”?

अजीत उज्जैनकर
अजीत उज्जैनकर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को सबसे पहले इस बात के लिए धन्यवाद दिया जाना चाहिए कि उन्होंने युद्ध की आहट को संवेदनशील मानवीय दृष्टिकोण से संभालते हुए देश को सीधे उसमें नहीं झोंका। उनकी नीति स्पष्ट है — “तैयारी रखो, लेकिन तबाही मत बुलाओ।”

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अब जब 7 मई 2025 से पूरे देश में Mock Drill की योजना है, तो देशभर के नागरिक “देशहित” में भाग लेने को तत्पर हैं। सवाल सिर्फ एक है — क्या स्थानीय प्रशासन तैयार है?

ज़िला प्रशासन के पास कितना समय है?

Mock Drill की खबरें सार्वजनिक हो चुकी हैं, लेकिन अब इसमें केवल 24 घंटे से भी कम का समय शेष है। ऐसे में स्थानीय प्रशासन को ये सुनिश्चित करना होगा कि:

अस्पतालों में भर्ती मरीज

गर्भवती महिलाएं

गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोग

नवजात और छोटे बच्चे

…इन सभी की सुरक्षा तय हो — जबकि आसमान में हेलीकॉप्टर उड़ेंगे, सायरन गूंजेंगे, और “ड्रिल” के नाम पर असली भय जैसी स्थिति बनाई जाएगी।

क्या फिर से हमें वही पुराना सरकारी जवाब मिलेगा —

“सब कुछ कंट्रोल में है, All is Well!” या फिर प्रशासन वाकई लोगों की सुरक्षा, मानसिक स्थिरता और मेडिकल सुविधा को प्राथमिकता देगा?

देशहित बनाम अव्यवस्था

देशहित में Mock Drill सही दिशा में एक कदम हो सकता है, यदि इसका संचालन व्यवस्थित हो। लेकिन अगर इसकी तैयारी में प्रशासन पिछड़ गया, तो यह Drill “Real Disaster” में तब्दील हो सकती है।

देश की जनता तैयार है, प्रधानमंत्री दूरदर्शी हैं, लेकिन अब जिम्मेदारी है स्थानीय प्रशासन, DM और LG जैसे अधिकारियों की — जो अपने-अपने जिलों में आम लोगों के जीवन और स्वास्थ्य को लेकर कितनी संवेदनशीलता दिखाते हैं, यह असली Mock Drill का मूल्यांकन होगा

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