मणिपुर में फिर मुठभेड़! सेना बनाम यूकेएनए, चुराचांदपुर में चार उग्रवादी ढेर

Lee Chang (North East Expert)
Lee Chang (North East Expert)

मणिपुर के चुराचांदपुर ज़िले में मंगलवार को तड़के सुरक्षाबलों और कथित कुकी उग्रवादियों के बीच मुठभेड़ हुई, जिसमें यूकेएनए (United Kuki National Army) के चार कैडर मारे गए।
ये ऑपरेशन सेना और केंद्रीय सुरक्षाबलों का संयुक्त अभियान था — जिसे एक खुफिया इनपुट के बाद शुरू किया गया।

लेकिन जैसे ही सैनिकों ने आगे बढ़ना शुरू किया, उग्रवादियों ने सामने से गोलियां चलाना शुरू कर दीं — और फिर जो हुआ, वो मणिपुर के पहाड़ों में गूंज उठा।

यूकेएनए के 4 कैडर ढेर — ‘एक्शन सीन बिना बैकग्राउंड म्यूज़िक के’

असम राइफल्स के अधिकारी ने बताया, “हम खानपी गांव (चुराचांदपुर से 80 किमी दूर) में पहुंचे ही थे कि अचानक फायरिंग शुरू हो गई। जवाबी कार्रवाई में यूकेएनए के चार उग्रवादी ढेर हो गए।”

रक्षा मंत्रालय ने भी बयान जारी कर कहा कि यह अभियान हाल के यूकेएनए अत्याचारों के बाद शुरू किया गया था — “इन लोगों ने एक ग्राम प्रधान की हत्या की, स्थानीय लोगों को धमकाया और क्षेत्र में शांति भंग की कोशिश की।”

यूकेएनए का पलटवार — “ये एनकाउंटर नहीं, मर्डर है!”

दूसरी ओर, यूकेएनए ने इस कार्रवाई की निंदा की है और चुराचांदपुर में बंद का ऐलान कर दिया है। “मुठभेड़ के बाद बाजार, दुकानें सब बंद हैं। पूरा इलाका सन्नाटे में है।”

यानि जहां एक तरफ गोली की आवाज़ थमी, वहीं दूसरी तरफ साइलेंस का कर्फ्यू फैल गया।

यूकेएनए की पुरानी ‘हिंसक हिस्ट्री’

पिछले महीने एक गांव के मुखिया की हत्या में यूकेएनए का नाम सामने आया था। जून में इनके हमले में चार लोग, जिनमें एक बुजुर्ग महिला भी शामिल थीं, मारे गए थे। संगठन ने भारत सरकार के साथ हुए ऑपरेशन निलंबन (Suspension of Operations) समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए — यानी हथियार डालने से साफ इंकार।

कुकी संगठनों ने कहा — “ये शांति नहीं, अन्याय है”

कुकी नागरिक समाज के संगठनों ने सुरक्षाबलों की कार्रवाई को “निंदनीय” बताया और कहा — “यूकेएनए के चार कैडरों की हत्या की गई है, यह न्याय नहीं है।”

हालांकि सुरक्षा सूत्रों का कहना है कि ये कार्रवाई कानून के दायरे में थी और क्षेत्र में स्थिरता के लिए आवश्यक थी।

शांति समझौते से बाहर यूकेएनए की राह अलग

मणिपुर के कई कुकी गुट भारत सरकार के साथ शांति वार्ता में हैं, लेकिन यूकेएनए उनमें शामिल नहीं है। इसी वजह से ये संगठन सरकार और सुरक्षा बलों के निशाने पर रहता है। जानकार कहते हैं — “जहां बाकी गुट टेबल पर हैं, वहीं यूकेएनए अभी भी ट्रिगर पर है।”

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