
“न गोबर न गलती माफ़, लखनऊ में शुरू हुई भैंसों की चेकिंग!” लखनऊ नगर निगम ने अब ‘भैंस पुलिस’ मोड ऑन कर दिया है। स्वच्छता और जनस्वास्थ्य को बिगाड़ने वालों के लिए ये दीपावली भैंस-मुक्ति अभियान जैसी बन गई।
अवैध डेरी पर नगर निगम का बुलडोज़री एक्शन!
कहां: ज़ोन-6, पारा थाना क्षेत्र
कब: मंगलवार को
कितनी भैंसें जब्त हुईं: 15
कहां भेजा: आलमबाग कांजी हाउस
जुर्माना जमा करने पर ही छोड़ा जाएगा
गोबर गेट: नालियों में बहाया तो अब भैंस जाएगी जेल!
IGRS पोर्टल और स्थानीय लोगों की शिकायतें मिलीं कि कुछ डेरी संचालक:
- गोबर को सीधे नालियों में बहा रहे थे
- खुले प्लॉटों को ‘गोबर डंप यार्ड’ बना दिया था
- मच्छर, बदबू, जलभराव से पूरा इलाका बेहाल
नतीजा: नगर निगम की टीम पुलिस और पशु कल्याण विभाग के साथ पहुंची और कार्रवाई कर दी — बिना दही जमाए!
नगर निगम की कानूनी गायडलाइन: “भैंस शहर में नहीं चलेगी!”
नगर निगम अधिनियम 1959 के तहत:
- भैंस पालन शहरी सीमा में प्रतिबंधित है।
- केवल दो गाय पालने की अनुमति है — वो भी वैध लाइसेंस के साथ।
- डेरी से निकलने वाला कचरा ‘अपदूषण कारक’ माना गया है।
भैंस पालो, पर शुद्ध वातावरण के बाहर!

नगर आयुक्त का अल्टीमेटम:
“जो भैंसों से शहर गंदा करेगा, उसके घर खुद कांजी हाउस आ जाएगा!”
नगर निगम ने साफ कहा है कि अगली बार की शिकायत पर डेरी सील, भारी जुर्माना, और पशु जब्ती तीनों एक साथ होंगे।
- “अब भैंस को पूछना पड़ेगा – नालियों में उतरूं या कांजी हाउस जाऊं?”
- “पहले मुर्गी पहले अंडा होता था, अब भैंस पहले जुर्माना देगी, फिर चारा खाएगी!”
- “गाय वाली गलती चल जाती है, भैंस की माफ़ी नहीं!”
क्यों है ये जरूरी?
- जलभराव से मच्छरजनित रोग फैलते हैं
- गोबर का गलत निस्तारण जल स्रोतों को प्रदूषित करता है
- अवैध डेरीज़ आवारा पशुओं की संख्या बढ़ाती हैं
- शहरी जीवन की गुणवत्ता गिरती है
अब स्वच्छ लखनऊ के लिए हर एरिया में ‘भैंस वॉच’
हर डेरी की निगरानी होगी। CCTV, फील्ड विज़िट, और नागरिकों की फीडबैक से होगी सख्ती। जुर्माना वसूली डिजिटल होगी (भैंस अब ऑनलाइन भी छुड़ानी पड़ सकती है।
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