
पाकिस्तान में पानी की चिंता के बीच कुछ जुबानें बहने लगी हैं — और वो भी “सिंधु के बहाव से तेज़”! रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ जी का बयान आया है, और उसमें कश्मीर, बलूचिस्तान, अभिनंदन, भारत की साजिश, और अंत में वही पुराना डायलॉग — हम 100% जवाब देने को तैयार हैं! मतलब… पानी कम, Punchline ज़्यादा!
ख्वाजा आसिफ ने कहा — “भारत लंबे समय से सिंधु संधि से बाहर निकलना चाहता है।”
अब भाई साहब, अगर भारत ऐसा चाहता था, तो 60 साल से बैठकें क्यों कर रहा था? ऐसा लग रहा जैसे पाकिस्तानी रक्षा मंत्रालय, इतिहास नहीं, इंस्टाग्राम स्टोरीज़ पढ़कर ब्रीफिंग तैयार करता है।
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अभिनंदन का हवाला – बात पानी की थी या प्लेन की?
उन्होंने ये भी याद दिलाया — “भारत हवाई उल्लंघन न दोहराए, अभिनंदन की चाय अभी ठंडी नहीं हुई।”
बिलकुल! पर दुनिया भी तो पूछ रही है कि अभिनंदन की चाय देने के बाद चुपके से उसे छोड़ क्यों दिया गया? क्या तब भी ‘100% तैयार’ थे, या सिर्फ टी-बैग?
फिर वही घिसा-पिटा जुमला: “बलूच आतंकवाद में भारत का हाथ है।” भाई, अगर सबूत हैं तो UN ले जाइए ना, ट्विटर क्यों? और ज़रा ये भी बताइए — जो अलगाववादी इलाज के लिए भारत आते हैं, वो वीजा कैसे लेते हैं? इमरान खान की डॉक्टर फ्रेंड भेजती हैं क्या?
“पहलगाम हमला भारत का फर्जी प्रोजेक्ट हो सकता है”
ख्वाजा साहब ने कहा कि पहलगाम हमला “झूठा अभियान” हो सकता है। वाह! मतलब अब शहीदों की चिताओं पर भी थ्योरी बनानी शुरू कर दी? और अगले हफ्ते शायद ये भी कह दें कि 14 अगस्त भी भारत ने ही बनाया था।
उन्होंने पूछा – “कश्मीर में 7 लाख सैनिक हैं, फिर भी हमला कैसे हो गया?” तो क्या आप ये कहना चाह रहे हैं कि अगर हमला होता है, तो सुरक्षा बलों को हटाना चाहिए? कश्मीर नहीं, लॉजिक पर हमला हो रहा है, और आप First Aid लेकर भी नहीं आए!
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पाकिस्तान के मंत्री की भाषा और तर्क दरअसल इस बात का संकेत हैं कि “जब तर्क सूखते हैं, तब ही सिंधु की चिंता सताती है।”
भारत की ओर से अगर पानी पर नीति बदल रही है, तो पाकिस्तान को इंकार की राजनीति से बाहर निकलकर संवाद की नीति अपनानी होगी। वरना अगली बार शायद रक्षा मंत्री नहीं, किसान यूनियन से माफी मंगवानी पड़े।