
उत्तर प्रदेश के कानपुर के मेस्टन रोड इलाके में बुधवार शाम हुए धमाके को पहले स्कूटी ब्लास्ट बताया गया। लेकिन जब CCTV फुटेज सामने आई, तो स्कूटी बेकसूर निकली — असली गुनहगार निकली एक खिलौने की दुकान, जहां 1 क्विंटल से ज्यादा अवैध पटाखों का जखीरा छिपाकर रखा गया था।
CCTV ने साफ कर दिया कि धमाका दुकान के अंदर रखे बारूद से हुआ, स्कूटी तो बस collateral damage थी!
खिलौने की दुकान में बारूद की बारात!
पुलिस कमिश्नर रघुवीर लाल ने खुद बताया कि:
“दुकान में रखे एक बॉक्स में धमाका हुआ, जिसकी आवाज से पूरा इलाका दहल उठा।”
इस ‘बच्चों की खुशी बेचने वाली दुकान’ में दरअसल विनाश की तैयारी चल रही थी।
धमाके की चपेट में आकर 8 लोग घायल हुए, जिनमें से दो को छुट्टी मिल गई और बाकी गंभीर हैं।
घटना के बाद लोगों में अफरातफरी मच गई और मेले जैसा बाजार भूतिया गलियों में बदल गया।
पुलिस एक्शन मोड में, लेकिन देर किस बात की थी?
घटना के तुरंत बाद पुलिस ने:
-
12 लोगों को हिरासत में लिया
-
5 पुलिसकर्मी सस्पेंड किए
-
संबंधित CO को हटा दिया
अब सवाल ये है:
थाने से 500 मीटर दूर ये अवैध पटाखा बाजार चल कैसे रहा था?
क्या पुलिस को बारूद की बदबू नहीं आई, या ‘त्योहारी सीज़न’ समझकर नजरअंदाज़ कर दिया गया?
पटाखों में था दम, पुलिस के बयान में कम
पुलिस कमिश्नर रघुवीर लाल ने खुद माना कि ये धमाका किसी बम से नहीं बल्कि अवैध रूप से जमा किए गए भारी मात्रा के पटाखों से हुआ।
लेकिन असली “धमाका” तब हुआ जब कमिश्नर ने खुद स्वीकार किया कि यह स्टॉकिंग किसी के संरक्षण में की जा रही थी। अब ये संरक्षण पुलिसिया छत्रछाया थी या राजनीति की परछाईं — जांच जारी है, लेकिन सवाल ज़रूर खड़े हो चुके हैं।

पुलिस-प्रशासन की “सेफ्टी कवर” पर उठे सवाल
घटना के तुरंत बाद यूपी ATS भी मौके पर पहुँची, और CMO लखनऊ से सीधे फोन आने की पुष्टि ने इस बात पर मुहर लगा दी कि मामला अब “लोकल से नेशनल” स्तर पर पहुँच चुका है।
अब सवाल यह है:
-
क्या अवैध पटाखों की यह मंडी खुलेआम पुलिस की जानकारी में चल रही थी?
-
अगर हाँ, तो क्या पुलिस सिर्फ मूक दर्शक थी या मौन भागीदार?
सर्च ऑपरेशन और गिरफ्तारियाँ
घटना के बाद पूरे क्षेत्र में ATS और पुलिस का जॉइंट सर्च ऑपरेशन जारी है।
अब तक 6 लोग हिरासत में, जिनसे पूछताछ जारी। 4 गंभीर घायलों को लखनऊ रेफर। 2 मामूली घायलों को छुट्टी, और 2 अन्य का ज़िला अस्पताल में इलाज। पुलिस ने कहा है कि अब से पूरे कानपुर में अवैध पटाखों के खिलाफ रेड और जब्ती अभियान चलेगा।
(Translation: डरिए नहीं, पटाखों से नहीं, प्रशासन की चुप्पी से डरिए।)
पटाखा माफिया और पुलिसिया गठजोड़?
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर ये सवाल उठाया है — “कौन चला रहा है अवैध पटाखों का साम्राज्य और किसकी शह पर?”
यह पहली बार नहीं है जब त्योहारों से पहले काली बारूद की मंडी पकड़ी गई हो, लेकिन यह पहली बार है जब प्रशासन ने खुलकर कबूला है कि अंदरखाने कुछ गड़बड़ है।
अब देखना ये है कि क्या यह जांच सिर्फ फाइलों में सुलगती रहेगी या वाकई में कोई ‘पटाखा कार्रवाई’ होगी?
हादसा एक, इशारे अनेक
जहाँ एक तरफ धमाका स्कूटी में हुआ, वहीं विश्वास का विस्फोट पूरे सिस्टम में महसूस हुआ।
“ये सिर्फ पटाखा नहीं फटा, ये जनता के सब्र का बंधन था – जो बिखर गया।”
आने वाले दिनों में देखना होगा कि क्या पुलिस अपने ही संरक्षण वाले घाव पर मरहम लगाएगी या फिर पटाखों की यह कथा, कुछ गिरफ्तारियों और अखबार की हेडलाइनों के साथ ही ‘धुएँ में उड़ जाएगी’?
“Captain बनी Nehal, बाकी घरवालों ने बोल दिया – ‘Not My Captain’!”