
कानपुर देहात से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने सरकारी तंत्र की पोल खोल दी है। डेरापुर तहसील के अंगदपुर मौजा गेंदामऊ निवासी देवी प्रसाद, जो ज़िंदा हैं, उन्हें ग्राम सचिव ने रिपोर्ट में “मृत” घोषित कर दिया। नतीजा — पिछले एक साल से उनकी वृद्धा पेंशन बंद पड़ी है।
डीएम से गुहार: ‘साहब, मैं अभी ज़िंदा हूं’
शनिवार को संपूर्ण समाधान दिवस में बुजुर्ग देवी प्रसाद खुद अपनी पेंशन की फाइल लेकर पहुंचे और डीएम कपिल सिंह से बोले, “साहब, मैं अभी सांस ले रहा हूं, लेकिन सरकार ने मुझे परलोक भेज दिया है!”
डीएम ने तुरंत जांच के आदेश दिए और जैसे ही रिपोर्ट आई, पता चला — सचिव आशीष मिश्रा ने 29 मई 2023 की रिपोर्ट में खुद से ‘श्राद्ध’ कर दिया था।
सच निकला — सचिव झूठा!
जिला समाज कल्याण अधिकारी और जिला पंचायत राज अधिकारी की जांच में मामला सही पाया गया। डीएम कपिल सिंह ने तत्काल कार्रवाई करते हुए सचिव को निलंबित करने के आदेश दे दिए।
फोन काटकर भागे सचिव साहब
जब मीडिया ने आरोपी सचिव आशीष मिश्रा से सफाई मांगी, तो उन्होंने फोन उठाया… और तुरंत काट दिया!
अब जनता पूछ रही है — “क्या ये प्रशासन है या कोई कॉमेडी शो?”

ग्रामीणों में गुस्सा, सिस्टम पर सवाल
गांव के लोगों का कहना है कि अगर बुजुर्ग खुद आवाज़ न उठाते, तो उनकी पेंशन हमेशा के लिए बंद रहती। पीड़ित देवी प्रसाद ने उम्मीद जताई है कि अब उन्हें न्याय मिलेगा — और शायद “सरकार अब मरे हुए नहीं, ज़िंदा नागरिकों को भी पहचानना सीखे।”
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