
1975 में जब देवताओं ने स्क्रिप्ट लिखी, डायरेक्टर विजय शर्मा ने कैमरा सेट किया — और इस तरह शुरू हुई देव लोक की कहानी। जी हाँ, वहीं देव लोक, जहाँ गणेश जी सपरिवार बैठे थे और अचानक उन्हें याद आया कि चलो एक बेटी भी जोड़ लेते हैं — और संतोषी माँ का “फिल्मी जन्म” हुआ।
बजट कम, श्रद्धा ज़्यादा: मंदिर में नहीं, थियेटर में पूजा!
10 लाख के बजट वाली इस फिल्म ने सिनेमाघरों को अस्थायी मंदिर में बदल दिया। लोग चप्पलें बाहर उतार कर अंदर जाते, फूल और सिक्के स्क्रीन पर चढ़ाते और जब-जब देवी प्रकट होतीं — झांझ बज उठती थी!
कुछ थिएटर तो इतने भक्तिमय हो गए कि उन्हें INOX Mandir नाम देने की नौबत आ गई।
संगीत: जब ‘उषा मंगेशकर’ ने दिया ‘आर्टी टच’
अगर आपकी दादी के पास संतोषी माता की फोटो है, तो उनके रिकॉर्ड कलेक्शन में “मैं तो आरती उतारूं” ज़रूर होगा। उषा मंगेशकर, कवि प्रदीप, और महेन्द्र कपूर ने इस फिल्म को Spotify से पहले वाला Spotify बना दिया।
कथा, व्रत, और गृहिणियों की विजय
फिल्म ने एक अनोखी व्रत-कथा दिखाई, जिसमें नौकरानी से भगवान तक सब हैं। औरतें इसे देखकर कह उठीं — “अब हमें भी देवी बनने का तरीका आ गया!”
संतोषी माँ व्रत जिसने निम्न-मध्यमवर्गीय महिलाओं के बीच वायरल ट्रेंड पकड़ लिया — बिना Wi-Fi के!
गणेश जी की बेटी: Canon या फैनफिक्शन?
“गणेश की बेटी? किस पुराण में लिखा है ये!”
— हर संस्कृत स्कॉलर कभी न कभी ये सवाल पूछ चुका है।
मगर क्या फर्क पड़ता है? फिल्म है, भाव है, श्रद्धा है — और फिल्मवालों ने कहा: “We make our own mythology.”
बॉक्स ऑफिस पर बम! (Show-le कम, Maa ज़्यादा!)
शोले, दीवार और जय संतोषी माँ — सब एक ही साल रिलीज़ हुईं।
परंतु, जबकि शोले ने थार में गोलियां चलाईं, जय संतोषी माँ ने गोल-गप्पों से भक्तों के मन जीते।
आलोचक भले सिर खुजा रहे थे, लेकिन जनता का verdict था: “माँ के दर्शन हो गए!”
पुरस्कार और प्रोमोशन: “व्रत करो, अवॉर्ड लो!”
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BFJA Award मिला प्रदीप और उषा मंगेशकर को
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फिल्मफेयर नामांकन भी मिला
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और हां, 2006 में रीमेक भी आया… मगर 1975 की भक्ति और सादगी वाला करिश्मा फिर नहीं दोहराया गया।
टीवी पर मेला: “जय संतोषी माँ” का सीरियल भी आया
“जय संतोषी माँ” सिर्फ फिल्म नहीं, एक emotional franchise बन गई।
इसके बाद आए —
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सोलह शुक्रवर
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जय संतोषी माँ टीवी सीरियल
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और लोग अब भी गूगल करते हैं — “संतोषी माता का व्रत कैसे करें?”
कम बजट + भक्तिभाव = ब्लॉकबस्टर!
कभी-कभी बड़े VFX नहीं, बड़ी श्रद्धा चाहिए होती है।
जय संतोषी माँ यही सिखाती है — “Low budget, high devotion, max impact.”
तो अगली बार जब कोई बोले कि बिना बड़े स्टार के फिल्म नहीं चलती, उन्हें संतोषी माता की फिल्म दिखाइए… और कहिए:
“माँ का आशीर्वाद हो तो Box Office भी भक्त बन जाता है!”