
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) ने इंडोनेशिया को अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं की मेज़बानी करने से रोक दिया है। इस कदम के पीछे वजह है इंडोनेशिया की सरकार का इसराइली खिलाड़ियों को वीज़ा देने से इनकार, जो जकार्ता में आयोजित होने वाले विश्व आर्टिस्टिक जिम्नास्टिक्स चैंपियनशिप से जुड़ा था।
इसराइल वीज़ा विवाद: खेल का मैदान या राजनीति का अखाड़ा?
इंडोनेशियाई सरकार ने ग़ज़ा में जारी सैन्य अभियान के विरोध में इसराइली खिलाड़ियों को प्रवेश देने से मना कर दिया। IOC ने इस विवाद को सुलझाने की कई कोशिशें कीं, लेकिन असफल रही। इस वजह से IOC ने कड़ा कदम उठाते हुए इंडोनेशिया की राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के साथ सभी बातचीत रोक दी।
आईजीएफ़ और एफआईजी की प्रतिक्रिया
इसराइली जिम्नास्टिक्स फेडरेशन (IGF) ने इस निर्णय को “एक खतरनाक मिसाल” बताते हुए इसकी कड़ी आलोचना की। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय जिम्नास्टिक्स महासंघ (FIG) भी आलोचना के घेरे में आया। इस पूरे विवाद ने खेल और राजनीति के बीच की नाज़ुक सीमाओं को फिर से उजागर कर दिया है।
IOC का कड़ा रुख: बिना भेदभाव प्रवेश की गारंटी जरूरी
IOC ने साफ़ कहा है कि प्रतिबंध तब तक जारी रहेगा, जब तक इंडोनेशिया यह गारंटी नहीं देता कि किसी भी खिलाड़ी को उनकी राष्ट्रीयता की परवाह किए बिना देश में प्रवेश और खेल में भाग लेने की अनुमति दी जाएगी।

क्या इंडोनेशिया को मिल पाएगा फिर से खेल आयोजनों की मेज़बानी?
यह प्रतिबंध इंडोनेशिया के लिए एक बड़ा झटका है, खासकर तब जब देश ने हाल ही में कई बड़े खेल आयोजन करने की योजना बनाई थी। IOC का यह निर्णय बताता है कि खेल में राजनीति को घुसपैठ करने की अनुमति नहीं दी जाएगी, और खिलाड़ियों को हमेशा समान अवसर मिलना चाहिए।
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