‘भाईजान’ को मिला करारा जवाब, चीन-तुर्की की झूठ फैक्ट्री पर भारत ने चढ़ाया डिजिटल ताला

शालिनी तिवारी
शालिनी तिवारी

पाकिस्तान की “ऑपरेशन सिंदूर” वाली नौटंकी पर भारत ने डिजिटल सर्जिकल स्ट्राइक कर दी है। भारत सरकार ने न सिर्फ चीन की झूठ की फैक्ट्री ग्लोबल टाइम्स का X हैंडल बंद करवाया, बल्कि शिन्हुआ न्यूज एजेंसी और तुर्की के ब्रॉडकास्टर TRT वर्ल्ड को भी डिजिटल लॉक का स्वाद चखा दिया है।

कूटनीति के मोर्चे पर यह संदेश साफ है — जो भारत के खिलाफ खड़े होंगे, उन्हें डिजिटल मोर्चे पर म्यूट कर दिया जाएगा।

चीन और तुर्की की ‘न्यूज़ चाटुकारिता’ पर भारत की करारी चोट

चीन की मीडिया एजेंसियां लगातार अरुणाचल प्रदेश को लेकर भ्रामक खबरें फैला रही थीं, वहीं तुर्की का टीआरटी वर्ल्ड भी पाकिस्तान की लाइन पर चल रहा था। लेकिन अब भारत ने इन झूठों की “हैंडलिंग” ठीक से कर दी है — यानी सोशल मीडिया हैंडल ही ब्लॉक कर दिया।

भारत के व्यापारियों का गुस्सा फूटा: तुर्की-चीन बहिष्कार की मांग

CTI (चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री) ने 700 से ज़्यादा व्यापारिक संगठनों से अपील की है कि चीन और तुर्की के उत्पादों का बहिष्कार किया जाए। चेयरमैन बृजेश गोयल ने साफ कहा कि यह वक्त है जब भारत को ग़ैर-मित्र राष्ट्रों से आर्थिक दूरी बनानी चाहिए

“चीन हमारे बाज़ार से मोटा मुनाफा कमाता है लेकिन व्यवहार दुश्मन जैसा करता है। अब हमें जवाब देना होगा,” — बृजेश गोयल

अरुणाचल पर चीन की बकवास, भारत का करारा जवाब

चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश के स्थानों का नाम बदलने की कोशिश पर विदेश मंत्रालय ने सख्ती से कहा:

“यह प्रयास व्यर्थ, निरर्थक और अस्वीकार्य हैं। अरुणाचल भारत का अभिन्न हिस्सा था, है और रहेगा।”

अब ‘भाईजान’ को हर मोर्चे पर जवाब

भारत ने ये साफ कर दिया है कि चाहे आंखें दिखाना हो या नाम बदलना, हर कोशिश का जवाब मिलेगा — डिप्लोमैटिकली, डिजिटलली और इकोनॉमिकली

जो देश पाकिस्तान के साथ मिलकर “इंफो-वार” लड़ने की कोशिश करेंगे, उन्हें भारत अब डेटा के मैदान में ही डिस्कनेक्ट कर देगा।

अजीत उज्जैनकर लिखते हैं:

“भारत ने अब शब्दों की जगह संकेतों से जवाब देना शुरू कर दिया है – और संकेत भी वो जो सीधे ‘भाईजान’ की दीवार हिला दें।”

चीन की झूठी पत्रकारिता मशीन (ग्लोबल टाइम्स) हो या पाकिस्तान को ड्रोन थमाने वाला तुर्किए, भारत अब केवल ‘निंदा’ नहीं करता, बल्कि डिजिटल और आर्थिक स्तर पर वास्तविक कार्रवाई करता है। ग्लोबल टाइम्स और शिन्हुआ जैसी संस्थाओं के भारत में प्रतिबंध से यह स्पष्ट हो गया है कि भारत की रणनीति अब ‘एक्टिव डिटरेंस’ की ओर बढ़ चुकी है।

चीन को आर्थिक मुनाफा चाहिए लेकिन सीमा पर चालबाज़ी भी जारी रखनी है? अब नहीं चलेगा। तुर्की अगर ड्रोन थमाकर पाकिस्तान की पीठ थपथपाता है, तो भारत में उसका ब्रॉडकास्टर ब्लॉक कर दिया जाएगा। यह नया भारत है—यह सिर्फ सीमा की रक्षा नहीं करता, अपने डिजिटल और आर्थिक आत्मसम्मान की भी रक्षा करता है।

अरुणाचल पर चीन की नाम बदलने वाली चालें हास्यास्पद हैं। ये नक्शे बदलने की कवायद नहीं, हार स्वीकार न कर पाने की जिद का नमूना हैं। विदेश मंत्रालय का दो टूक जवाब—“अरुणाचल भारत का था, है और रहेगा”—सिर्फ बयान नहीं, संप्रभुता का एलान है।

जहाँ एक ओर CTI जैसे व्यापारिक संगठन चीन और तुर्किए से व्यापारिक बहिष्कार की मांग कर रहे हैं, वहीं यह संकेत भी साफ है कि भारत का निजी क्षेत्र भी अब देश की विदेश नीति और सुरक्षा चिंताओं के साथ खड़ा है।

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