क्या भारत बन गया है रूस के फाइटर जेट्स का “फ्यूल सप्लायर”?

साक्षी चतुर्वेदी
साक्षी चतुर्वेदी

एक नई यूरोपीय रिपोर्ट ने भारत को फिर से सुर्खियों में ला दिया है। वजह? रूस-यूक्रेन युद्ध में इस्तेमाल हो रहे लड़ाकू विमानों की परफॉर्मेंस बढ़ाने वाले Fuel Additives का “मुख्य सप्लायर” बन चुका है भारत।

अब भले ही भारत कहे कि हम तटस्थ हैं, लेकिन रिपोर्ट्स कुछ और ही कह रही हैं – Made in India केमिकल्स, Made for Peace या Made for Putin?

क्या हैं ये Fuel Additives? युद्ध के मासूम “सहयोगी” या परफॉर्मेंस बूस्टर?

फ्यूल एडिटिव्स कोई मिसाइल या बम नहीं होते। ये तो वो केमिकल होते हैं जिन्हें विमानन ईंधन में मिलाकर जेट इंजनों की लाइफ बढ़ाई जाती है – सोचिए, एक तरह का Bournvita for Fighter Jets!
इनका इस्तेमाल वाणिज्यिक विमानों और युद्धक विमानों, दोनों में होता है। यानी ये लड़ाई के लिए नहीं बनाए जाते, लेकिन जब जेट उड़ता है – तो Additive भी उड़ता है।

“मेड इन इंडिया” Additives का Military Makeover

यूक्रेनी थिंक टैंक ESCU (Economic Security Council of Ukraine) ने बताया कि इन फ्यूल एडिटिव्स का इस्तेमाल SU-34 और SU-35S जैसे फाइटर जेट्स में हो रहा है – वही जेट्स जो यूक्रेन पर क्रूज मिसाइल, ग्लाइड बम और सुपरसोनिक गिफ्ट्स बरसा रहे हैं।

अब सवाल ये नहीं है कि केमिकल कहां से आया। सवाल ये है कि कहीं ये “Make in India” का कोई unintended defence export तो नहीं?

रिपोर्ट में क्या कहा गया है?

रूस ने 2024 में जिन ईंधन योजकों का आयात किया, उनमें से लगभग आधा भारत से गया – करीब 2,456.36 टन, जिसकी कीमत लगभग $13 मिलियन है।

49.58% टन भार = भारत से
33% कुल मूल्य = भारत से

यानी, जब रूस के जेट “बॉम्बिंग मोड” में होते हैं, तो उनके पीछे भारत की “केमिस्ट्री” भी उड़ रही होती है।

कौन-कौन सी Indian कंपनियां हैं शामिल?

1.Perfect Traders and Moulders Pvt Ltd

  • सबसे ज्यादा सप्लाई: 1,885 टन एडिटिव्स
  • स्पेयर पार्ट्स और पेट्रोकेमिकल्स में माहिर
  • जेट्स को Boost देने में “परफेक्ट”

2. Thermax Limited

  • 287 टन एडिटिव्स
  • बेचा रूस की कंपनी Kapron LLC को
  • थर्मैक्स का दावा: “ये तो सिर्फ तेल रिफाइनरी के लिए है!”
    (लेकिन रिफाइन किया जेट कहां जा रहा, ये नहीं पता)

रूस क्या कर रहा इन एडिटिव्स से?

रिपोर्ट के मुताबिक, ये एडिटिव्स सीधे तौर पर उन लड़ाकू विमानों में इस्तेमाल हो रहे हैं जो यूक्रेन के पश्चिमी शहरों पर हमले कर रहे हैं। यानी “फ्रंट लाइन से दूर बैठकर, Additive के दम पर मिसाइल फेंकना” – टेक्नोलॉजी इसे कहते हैं।

और जब नाटो ने अपने जेट्स भेजे, तो शायद उन्होंने भी चुपचाप पूछा हो – “What fuel are they using bro?” 🇷🇺

भारत पर कोई आरोप नहीं – लेकिन सवाल ज़रूर हैं

भारत पर किसी तरह के अंतरराष्ट्रीय कानून उल्लंघन का आरोप नहीं है। ये केमिकल “डुअल यूज” होते हैं – कमर्शियल भी, मिलिट्री भी।
भारत अमेरिका समेत कई देशों को भी ऐसे केमिकल्स भेजता है। लेकिन… जैसा फिल्मों में होता है – “इस्तेमाल करने वाला दोषी है या बेचने वाला?”

जियोपॉलिटिक्स का नया एंगल: भारत की “गैर-सैन्य” केमिस्ट्री, युद्ध में ट्विस्ट?

भारत ने आधिकारिक रूप से रूस-यूक्रेन युद्ध में कोई पक्ष नहीं लिया है। लेकिन इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट ने इस नॉन-अलाइंड स्टैंड को केमिकल रंग में रंग दिया है। क्या भारत ने अनजाने में अपने Additives से युद्ध की आग को हवा दी है?

या ये सब कुछ Global South के “उद्यमी स्पिरिट” का हिस्सा है – जैसे भी हो, बिजनेस तो चलता रहना चाहिए!

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