
आमतौर पर जनसुनवाई में पानी, सड़क, राशन जैसे मुद्दे आते हैं, लेकिन इस बार कलेक्ट्रेट में पहुंचा एक आवेदन अधिकारियों को असमंजस में डाल गया। आवेदनकर्ता का नाम है राजेन्द्र कुमार, एक भूतपूर्व शराबी मजदूर, जिसने अब शराब से तौबा कर ली है — लेकिन देश के बाकी मजदूरों के लिए एक नीतिगत सुझाव लेकर सामने आया है।
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क्या है सुझाव?
राजेन्द्र का कहना है कि:
“शराब हर जगह आसानी से मिलती है, और मजदूर अपनी मेहनत की कमाई शराब में बहा देता है। अगर शराब आधार कार्ड से लिंक हो जाए और हर मजदूर को दिन में केवल दो क्वार्टर ही मिले, तो उसका परिवार हर दिन दीपावली और ईद मना सकेगा।”
मजदूरी 600, शराब में उड़ते 400 रुपए!
राजेन्द्र ने अफसरों को बताया कि:
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मजदूर दिनभर की मजदूरी से ₹600 कमाता है।
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उनमें से ₹400 शराब में उड़ जाता है।
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बचे ₹100-₹200 में घर कैसे चले?
यही नहीं, उसने कहा कि आधार कार्ड से शराब वितरण सीमित कर दिया जाए, ताकि आदतन शराबियों पर नियंत्रण हो सके और परिवारों को आर्थिक संबल मिल सके।
SDM भी चौंके, आबकारी अफसरों को बुलाया गया
जनसुनवाई में मौजूद SDM विनोद सिंह ने आवेदन पढ़ते ही आबकारी विभाग को तलब कर लिया। आबकारी अधिकारी ने भी राजेन्द्र की बात को गंभीरता से सुना और आश्वासन दिया कि इस प्रस्ताव को वरिष्ठ अधिकारियों तक भेजा जाएगा।
मजदूर की मांग बनी सोशल मीडिया सेंसेशन
जहाँ एक ओर कलेक्ट्रेट के अधिकारी नियमों की वैधानिकता में उलझे, वहीं दूसरी ओर यह मांग फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर वायरल हो चुकी है। लोगों ने राजेन्द्र को “जनता का नीति-निर्माता” तक कह डाला है।
विश्लेषण (शालिनी तिवारी की कलम से):
“जब योजनाएं मंत्रालयों से नहीं, मजदूरों की झोंपड़ियों से निकलने लगें — तब असली लोकतंत्र सांस लेता है। राजेन्द्र का आवेदन नीतिगत समाधान नहीं तो कम से कम प्रशासनिक विवेक को आईना ज़रूर दिखाता है। शायद सरकारें नहीं कर पाईं जो एक नशामुक्त मजदूर ने सोच डाला!”
प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती:
अब सवाल यह है कि:
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क्या शराब को आधार कार्ड से जोड़ा जा सकता है?
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क्या इससे नशामुक्ति और आर्थिक बचत संभव होगी?
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और क्या ये सुझाव सिर्फ वायरल मज़ाक बनकर रह जाएगा या नीति की शक्ल लेगा?
राजेन्द्र का आवेदन हास्यास्पद लगे या क्रांतिकारी — यह एक कटु यथार्थ की ओर इशारा करता है। जब शराब आसान और रोज़गार अस्थायी हो, तो ग़रीब की उम्मीद भी आधार पर आधारित नीति बन जाती है। अब देखना है, क्या सरकार इस आवेदन को एक सुझाव मानेगी या एक चेतावनी?
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