
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारत न केवल वैश्विक मंदी के दौर में स्थिरता बनाए रखे हुए है, बल्कि अब दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में तेज़ी से बढ़ रहा है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका द्वारा नए टैरिफ लगाने की वजह से वैश्विक सप्लाई चेन में अस्थिरता पैदा हो गई है और 2025 की पहली तिमाही में अमेरिका की GDP में गिरावट दर्ज की गई है।
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WAVES 2025 में पीएम मोदी का संबोधन
विश्व ऑडियो विज़ुअल और मनोरंजन शिखर सम्मेलन (WAVES 2025) को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की आर्थिक ताकत को रेखांकित करते हुए कहा:
“आज भारत ग्लोबल फिनटेक अडॉप्शन रेट में नंबर वन है, दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल मैन्युफैक्चरर है और तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम रखता है।“
उन्होंने कहा कि “विकसित भारत” का सफर अब शुरू हो चुका है और आने वाले दशक में भारत विश्व अर्थव्यवस्था का नेतृत्व करने की क्षमता रखता है।
अमेरिकी टैरिफ और वैश्विक असर
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित नए टैरिफ ने चीन पर व्यापारिक दबाव बढ़ा दिया है। वैश्विक कंपनियां अब ‘चीन +1’ स्ट्रैटेजी के तहत भारत को विकल्प के रूप में देख रही हैं। अमेरिकी GDP की गिरावट के बाद निवेशक स्थिर और भरोसेमंद बाजार की तलाश में हैं – और भारत इसमें सबसे ऊपर है।
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भारत की वैश्विक स्थिति: आंकड़ों में
क्षेत्र | वैश्विक स्थान |
---|---|
फिनटेक अडॉप्शन रेट | #1 |
मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग | #2 |
स्टार्टअप इकोसिस्टम | #3 |
डिजिटल पेमेंट्स | सबसे तेज़ विकास दर |
ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस | निरंतर सुधार पर |
पीएलआई (PLI) स्कीम: मेक इन इंडिया के तहत मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहन।
डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर: UPI, डिजिलॉकर, इंडिया स्टैक जैसे नवाचार।
जनसंख्या लाभ: युवा कार्यबल और विशाल उपभोक्ता बाजार।
राजनीतिक स्थिरता और नीतिगत स्पष्टता।
सप्लाई चेन विविधता की वैश्विक मांग।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
सैफी हुसैन का कहना है:
“भारत को अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध से अप्रत्यक्ष रूप से लाभ मिल रहा है। कंपनियां अब भारत में निर्माण और सप्लाई बेस बना रही हैं।“