ग्लूटन छोड़ो, लेकिन सोच-समझ के! हर ट्रेंड वज़न नहीं घटाता

महिमा बाजपेई
महिमा बाजपेई

अगर आप भी “ग्लूटन-फ्री” का लेबल देखकर एक्साइट हो जाते हैं, और सोचते हैं कि ये ब्रेड खाते ही वजन उड़नछू हो जाएगा — तो ज़रा रुकिए। हो सकता है ये सिर्फ़ एक महंगा भ्रम हो।

ग्लूटन आखिर है क्या बला?

ग्लूटन कोई विलेन नहीं, बल्कि गेहूं, जौ और राय में पाया जाने वाला एक प्रोटीन है। यही आपकी रोटी को नरम और ब्रेड को फूलने वाला बनाता है। यानी जो लोग कहते हैं “रोटी छोड़ दी”, असल में वो ग्लूटन से ब्रेकअप कर चुके होते हैं — अक्सर बिना कारण।

किसे वाकई ग्लूटन से परहेज़ करना चाहिए?

1. सीलिएक डिज़ीज़ वाले

एक गंभीर ऑटोइम्यून बीमारी, जिसमें ग्लूटन से आंतों का बैंड बज जाता है।

2. ग्लूटन सेंसिटिविटी या एलर्जी

पेट फूलता है, गैस बनती है, थकान आती है — तो हो सकता है आप ग्लूटन के दोस्त न हों।

बाकी लोग?
उन्हें ग्लूटन छोड़ने की नहीं, बस मीठा और तला-भुना छोड़ने की ज़रूरत है।

ग्लूटन-फ्री खाने से वज़न घटता है?

सच:
वजन तब घटता है जब आप केक, कुकीज़, बर्गर और “रात 11 बजे की भूख” छोड़ते हैं — न कि सिर्फ ग्लूटन।

 ग्लूटन-फ्री कुकी भी कैलोरी बम हो सकती है। अंतर सिर्फ़ लेबल और दाम का होता है।

सही वज़न घटाने का तरीका क्या है?

  • संतुलित भोजन (मोटे अनाज, फल-सब्ज़ी)

  • प्रोसेस्ड फूड कम

  • फाइबर ज़्यादा

  • एक्सरसाइज़ रोज़ का

  • पानी भरपूर

  • नींद पूरी

और सबसे ज़रूरी — “हर फूड ट्रेंड को अपनी लाइफ का फंडा मत बनाइए।”

“अगर बीमार नहीं हैं, तो ग्लूटन से डरना नहीं चाहिए। हर लेबल हेल्दी नहीं होता।”

ग्लूटन-फ्री डाइट कुछ के लिए ज़रूरी हो सकती है, पर बाकी के लिए ये सिर्फ़ एक डाइट मार्केटिंग का ग्लैमर शो है। वज़न घटाने के लिए असली मेहनत और समझदारी की ज़रूरत होती है — ग्लूटन छोड़ना कोई shortcut नहीं।

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