
भारत-पाक तनाव के परिप्रेक्ष्य में हाल ही में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने भले ही सामरिक सफलता का दावा किया हो, लेकिन दिल्ली की राजनीतिक गलियों में ये अभियान किसी बॉलीवुड ड्रामा से कम नहीं लग रहा। राफेल विमान को लेकर कांग्रेस की टिप्पणियों ने भाजपा को भरपूर मौका दे दिया तंज़ कसने का – और उन्होंने ये मौका बिल्कुल नहीं छोड़ा।
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‘ये जो पाकिस्तान के बब्बर हैं, वो हिंदुस्तान के गब्बर हैं!’
बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने अपने चिर-परिचित अंदाज़ में कांग्रेस पर हमला बोलते हुए इसे “पाकिस्तान हिंद यात्रा” करार दिया। राहुल गांधी, रेवंत रेड्डी और जयराम रमेश पर निशाना साधते हुए पात्रा बोले, “इनके सवालों से लगता है जैसे ये राफेल नहीं, रील की स्क्रिप्ट पढ़ रहे हैं।”
पात्रा का सबसे तीखा तंज –
“पाकिस्तान के बब्बर, हिंदुस्तान के गब्बर”
सीधे तौर पर कांग्रेस नेताओं की टिप्पणियों को सेना के मनोबल के खिलाफ बताया।
जय हिंद यात्रा या ‘जय पाकिस्तान यात्रा’?
कांग्रेस की ‘जय हिंद यात्रा’, जिसे भारतीय सेना के समर्थन में बताया गया था, अब भाजपा की नजरों में कटघरे में है। पात्रा का कहना है कि जब पाकिस्तान से यह नहीं पूछा गया कि “कितने आतंकवादी मरे?”, तब भारत सरकार से ये पूछना कि “कितने राफेल गिरे?” अपने आप में ‘देशभक्ति की नई परिभाषा’ बन गई है।
रेवंत रेड्डी: ‘राफेल की गिनती चाहिए!’
तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने भी मोर्चा खोला और कहा कि पीएम मोदी को जवाब देना चाहिए कि पाकिस्तान ने कितने राफेल गिराए। सवाल तो ठीक था, लेकिन जवाब शायद उन्हें सैटेलाइट से पहले ट्विटर पर ही मिल जाए, ऐसा बीजेपी मान रही है।
‘आतंकवादी घूम रहे हैं, सांसद भी!’ – जयराम का जुमला
जयराम रमेश की तुलना ने तो जैसे आग में घी डाल दिया। उन्होंने कहा – “आतंकवादी घूम रहे हैं, सांसद भी घूम रहे हैं”, जिस पर बीजेपी ने सीधा आरोप लगाया कि उन्होंने सांसदों की तुलना आतंकवादियों से कर डाली। पात्रा ने इसे कांग्रेस की ‘नैतिक हार’ करार दिया।
राहुल गांधी: ‘कितने विमान खोए?’
राहुल गांधी ने विदेश मंत्री एस जयशंकर के पुराने बयान का वीडियो शेयर कर पूछा था –
“हमले से पहले पाकिस्तान को सूचित करना अपराध नहीं तो और क्या है? कितने विमान हमने खो दिए, इसका हिसाब कौन देगा?”
बीजेपी की नजर में ये सवाल नहीं, बल्कि विपक्ष की वैचारिक उड़ान का ‘इमरजेंसी लैंडिंग नोटिस’ है।
युद्ध के मैदान से संसद तक, शब्द बम फोड़ते नेतागण!
‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता हो या विफलता – यह अलग मुद्दा हो सकता है, लेकिन भारतीय राजनीति में यह मिशन अब “ऑपरेशन सियासत” में तब्दील हो चुका है। कांग्रेस की ओर से सवाल, और बीजेपी की ओर से जवाब कम, जुमलों की झड़ी ज़्यादा देखने को मिल रही है।
कह सकते हैं कि अगर ये सब एक फिल्म होती, तो नाम होता –
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