बहराइच में सैयद सालार मसूद गाज़ी दरगाह पर इस साल नहीं लगेगा मेला

अजमल शाह
अजमल शाह

उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में स्थित ऐतिहासिक और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण सैयद सालार मसूद गाज़ी की दरगाह पर इस साल जेठ महीने में लगने वाला वार्षिक मेला आयोजित नहीं किया जाएगा। जिला प्रशासन ने आयोजन की अनुमति से इनकार कर दिया है।

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मेले की अनुमति न देने पर प्रशासन पर सपा नेता यासर शाह ने खड़ा किया सवालिया निशान,

आपको बता दे की सालाना लगने वाले एक माह के जेठ मेले की अनुमति जिला प्रशासन ने इस बार नहीं दी है।,

जिला प्रशासन की ओर से अनुमति न दें का कारण बताया गया है कि वक्फ संशोधन कानून पहलगाम में हुए हमले साथ ही विगत दिनों सम्भल में हुई घटना का विरोध लोगों में व्याप्त है जिसकी वजह से अनुमति नहीं दी जाएगी।,

जैसे ही ये खबर हर तरफ फैली तत्पश्चात समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व कैबिनेट मंत्री यासर शाह ने ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया दी है और और कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है।,

पूर्व मंत्री यासर शाह ने प्रदेश की सरकार को अड़े हाथों लेते हुए कहा कहा आठ सौ साल से हो रहे समाजिक समरसता के प्रतीक बहराइच दरगाह शहरीफ के समागन में जिला प्रशासन सुरक्षा देने में नाकाम है जबकि इस जगह आजतक कभी कोई कानून व्यवस्था की विपत्ति नहीं आई है।,

क्या प्रदेश सरकार मानती है के वो अब जनता को सुरक्षा देने की स्थिति में नहीं है, और क्या यही हाल कमोबेश प्रदेश के हर जिले का है???जो सरकार नागरिकों को सुरक्षा नहीं दे सकती उसको सत्ता में बने रहने कोई नैतिक आधार बचा है क्या???

सिटी मजिस्ट्रेट शालिनी प्रभाकर ने दी जानकारी

बहराइच की सिटी मजिस्ट्रेट शालिनी प्रभाकर ने मीडिया को बताया:

“15 अप्रैल को दरगाह प्रबंध समिति के अध्यक्ष की ओर से जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बैठक कराए जाने हेतु पत्र प्रस्तुत किया गया था। लेकिन किसी भी प्रशासनिक अधिकारी ने मेले के आयोजन को लेकर कोई संस्तुति नहीं दी।”

इसका मतलब है कि प्रशासनिक स्तर पर आयोजन की अनुमति नहीं दी गई, जिसके चलते इस बार मेला नहीं लगेगा।

दरगाह कमेटी नाराज़, बोले– जाएंगे हाईकोर्ट

इस निर्णय से नाराज़ दरगाह मेला कमेटी के उपाध्यक्ष मकसूद राईनी ने कहा है:

“हम इस मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख करेंगे। यह मेला वर्षों से धार्मिक परंपरा का हिस्सा रहा है। प्रशासन का यह फैसला अनुचित है।”

उन्होंने इसे धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करार दिया।

ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है यह मेला

सैयद सालार मसूद गाज़ी की दरगाह पर लगने वाला यह मेला सदियों से धार्मिक श्रद्धा और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक रहा है।
देशभर से हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु हर साल यहां आते हैं, विशेषकर मुस्लिम समुदाय के लोग इस मेले को बड़ी आस्था से जोड़ते हैं।

अब कानूनी राह पर जाएगा विवाद

प्रशासन की ओर से अनुमति नहीं मिलने के बाद अब मामला न्यायिक प्रक्रिया में प्रवेश कर सकता है, क्योंकि दरगाह कमेटी हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने की बात कह चुकी है। अब देखना होगा कि कोर्ट इस फैसले पर क्या रुख अपनाता है।

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