
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाते हुए सिंधु जल संधि को निलंबित करने का ऐलान किया है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी. आर. पाटिल ने स्पष्ट कहा कि “सरकार इस रणनीति पर काम कर रही है कि भारत से पानी की एक भी बूंद पाकिस्तान में न जाए।”
यह बयान गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक के बाद आया है जिसमें सिंधु नदी से जुड़े जल प्रवाह को रोकने के उपायों पर चर्चा हुई।
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मोदी सरकार का बड़ा फैसला: सिंधु जल संधि निलंबित, अटारी बॉर्डर भी बंद
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मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद सरकार ने सख्त कूटनीतिक और भौगोलिक कदम उठाए हैं।
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इसके तहत:
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सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया।
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अटारी बॉर्डर को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया।
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पाकिस्तान को राजनयिक माध्यम से सूचित कर दिया गया।
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सिंधु जल संधि: किसे कितना पानी?
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1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता से बनी इस संधि में भारत को तीन पूर्वी नदियों — ब्यास, रावी, सतलुज — के जल पर पूर्ण अधिकार मिला।
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तीन पश्चिमी नदियाँ — सिंधु, झेलम और चिनाब — पाकिस्तान को दी गईं, लेकिन भारत को भी 20% पानी के उपयोग की अनुमति दी गई है।
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अब भारत इन अधिकारों का पूर्ण उपयोग करने की योजना पर काम कर रहा है।
सिंधु जल संकट: भारत-पाक जल संघर्ष के बीच चीन की भी बड़ी चाल?
भारत के इन फैसलों के जवाब में पाकिस्तान ने भी कुछ क़दम उठाए हैं, लेकिन भारत का रुख साफ है — “आतंक और पानी साथ नहीं बह सकते।”