
इटावा जिले में स्थित डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव बैंक शुक्रवार सुबह अचानक सुर्खियों में आ गया, जब आयकर विभाग की तीन टीमें अलग-अलग गाड़ियों में सवार होकर बैंक पहुंचीं। लखनऊ, कानपुर और प्रयागराज नंबर की गाड़ियों ने ही संकेत दे दिया था कि मामला छोटा नहीं—पूरे प्रदेश-स्तर का ऑपरेशन है।
टीम के साथ स्थानीय पुलिस और PAC भी मौजूद थी। दृश्य कुछ ऐसा था जैसे बैंक नहीं, बल्कि कोई हाई-प्रोफाइल शूटिंग लोकेशन हो।
102 करोड़ के चर्चित गबन केस से कनेक्शन?
सूत्रों की माने तो यह छापेमारी पहले से ही चर्चित ₹102 करोड़ गबन मामले से जुड़ी हो सकती है। इस केस में पहले भी कई आरोपी जेल की हवा खा चुके हैं। अब IT विभाग सीधे बैंक के दस्तावेज़ों, अकाउंट स्टेटमेंट्स और वित्तीय लेन-देन की गहराई तक पहुंच रहा है। यही वो मोमेंट है जब पुरानी फाइलें शायद खुद सोच रही हों— “कौन-सी एंट्री ने हमारा भाग्य बदल दिया?”
टीम की जांच—फाइलें, लेन-देन और डिजिटल ट्रेल पर फोकस
आयकर अधिकारी बैंक के— ट्रांजैक्शन रिकॉर्ड, पुराने बैलेंस शीट, संदिग्ध अकाउंट्स और डिजिटल डेटा सबकुछ खंगाल रहे हैं। कहा जा रहा है कि कई दस्तावेजों को मौके पर ही स्कैन किया गया है और कुछ को सील करके जांच टीम अपने साथ ले गई है।
बैंक स्टाफ में खलबली—“ये अचानक कैसे?”
छापेमारी की खबर फैलते ही बैंक कर्मचारियों में हलचल मच गई। किसी ने धीरे से कहा— “हम तो रोज की एंट्री कर रहे थे, पर लगता है पुरानी एंट्री ने ही दग़ा दे दिया।” बैंक परिसर के आसपास भी लोगों की भीड़ जमा हो गई, जो बस एक ही सवाल पूछ रही थी—
“कौन-सा नया पेज खुला है?”

जांच जारी—आने वाले दिनों में बड़े खुलासों की उम्मीद
इस छापेमारी के बाद माना जा रहा है कि 102 करोड़ के केस की कई परतें और खुल सकती हैं। IT विभाग की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ेगी, नए नाम और नए ट्रांजैक्शन सामने आने की भी संभावना है।
इटावा में यह मामला फिलहाल “सबसे बड़ा वित्तीय ड्रामा—Season 2” की तरह बन गया है।
