बिजली विभाग के 11 अभियंताओं ने लिया वीआरएस, पॉवर कारपोरेशन में मचा हड़कंप

लखनऊ। पूर्वांचल व दक्षिणांचल डिस्कामों के निजीकरण की प्रक्रिया जहां विजली अभियंताओं व कर्मचारियों के भारी विरोध के वीच तेजी से आगे बढ़ रही और प्रदेश के ऊर्जामंत्री निजीकरण पर पूरी तरह अड़े हुए है। वहीं दूसरी ओर निजीकरण का असर अव विजली अभियंताओं पर साफ तौर पर दिखने लगा है। निजीकरण की प्रक्रिया से आहत होकर पिछले दो माह के दौरान 11 विजली वरिष्ठ विजली अभियंताओं ने स्वैच्छिक सेवानिवृति ( वीआरएस) लेकर विभाग से किनारा काट लिया है।

वीआरएस लेने वालो में आठ मुख्य अभियंता और तीन अधीक्षण अभियंता शामिल बताये जा रहे है। इसके अलावा तीस से अधिक अभियंताओं ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्त (वीआरएस) लेने के लिए आवेदन दे रखा है। उधर दूसरी ओर एक वरिष्ठ अधिकारी की माने तो हाल ही में तीन मुख्य अभियंता ऐसे थे जिन्होंने वीआरएस के लिए अप्लाई किया था। इसके अलावा अव तक 11 वरिष्ठ अभियंताओं का वीआरएस मंजूर चुका है जिसमें सुनील कुमार गुप्ता मुख्य अभियंता स्तर 2, रणविजय कुमार सिंह मुख्य अभियंता स्तर 1, प्रभाकर पाण्डेय, पावर कारपोरेशन प्रबंधन पर निजीकरण के नाम पर उत्पीड़नात्मक कार्रवाई से क्षुब्ध अधिकतर अभियंता व बिजलीकर्मी
अधीक्षण अभियंता, अतुल प्रताप सिंह अधीक्षण अभियंता आईटी, धीरज सिन्हा मुख्य अभियंता स्तर 1, वकार अहमद अधीक्षण अभियंता, मुकेश कुमार गर्ग मुख्य अभियंता स्तर 2, रविन्द्र कुमार बंसल मुख्य अभियंता स्तर 1 प्रमुख है।

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हालाकि पावर कारपोरेशन के चेयनमैन डा. आशीष गोयल ने इन सभी इंजीनियरों के वीआरएस को मंजूरी भी दे दी है। विभागीय जानकारों की माने तो ऐसे 30 से अधिक अभियंता अभी वीआरएस की लाइन में है, जिन्होंने वीआरएस के लिए अप्लाई कर रखा है। इन इंजीनियरों का वीआरएस भी मंजूर होने की प्रक्रिया में है। मार्च तक वीआरएस लेने वाले अभियंताओं की संख्या 50 के पार जा सकती है। निजीकरण की प्रक्रिया शुरू होने के वाद जिन इंजीनियरों ने वीआरएस के लिए अप्लाई किया है, उसमें सभी अभियंता ऐसे है जिनकी सेवा के 25 साल पूरे हो गये है। इसके पीछे एक बड़ी वजह यह भी वतायी जा ती है कि 25 साल की सेवा पूरी होने के वाद इंजीनियरों को वीआरएस लेने के वाद भी पेंशन मिलती है। यही वजह है कि बड़ी संख्या में इंजीनियर वीआरएस ले रहे है।

वीआरएस 30 अभियंता दे रखे है वीआरएस का आवेदन पत्र

पावर कारपोरेशन ने पूर्वांचल व दक्षिणांचल डिस्कामो के 42 जनपदों की विजली व्यवस्था का निजीकरण करने की मंशा पूरी तरह से वना ली है और लगातार इसकी प्रक्रिया दिन प्रतिदिन वढ़ती जा रही है। हालांकि निजीकरण के विरोध में प्रदेश ही नहीं राष्ट्रीय स्तर पर विजली कर्मचारी व अभियंता आंदोलनरत है और इनका कहना है कि किसी भी दशा में निजीकरण न हीं होने देंगे। कर्मचारी संगठनो के नेताओं ने पावर कारपोरेशन प्रबंधन पर आरोप लगा रहे  है। कि निजीकरण प्रबंधन भय वनाकर व कार्यरत अभियंताओं व कार्मिको का उत्पीड़न कर परेशान किया जा रहा है।

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