“फैक्ट के नाम पर फटाके! चुनाव आयोग ने निकाली फैक्ट चेक बुक”

शकील सैफी
शकील सैफी

बिहार SIR के दौरान सोशल मीडिया पर जितनी ‘क्रिएटिविटी’ दिखाई गई, उसे देखकर तो खुद WhatsApp यूनिवर्सिटी भी शर्मा जाए।
इन्हीं ‘viral’ लेकिन ‘baseless’ news की पोल खोलने अब खुद चुनाव आयोग मैदान में उतरा है, और साथ लाया है – “ECI Fact Check Book”

बुक नहीं, बम है ये – सच्चाई के साथ ठहाकों का कॉम्बो!

इस किताब में वो सभी वायरल झूठ शामिल हैं जो चुनाव के दौरान WhatsApp, Facebook, X (Twitter नहीं, अब यही है!) पर तूफान मचा रहे थे।
उदाहरण के लिए:

  • “चुनाव के दिन WiFi बंद रहेगा!”

  • “NOTA चुनने से दोबारा चुनाव होंगे!”

  • “EC ने मोदी जी को गुप्त वोटिंग परमिशन दी है!”

अब इन्हीं दावों की जांच हुई है और जवाब दिए गए हैं, पूरे सरकारी अंदाज़ में – यानी ‘no jokes, only facts’… लेकिन हमारे हिसाब से इसमें काफी ‘जोक्स’ हैं, बस उन्हें ढूंढने की नज़र चाहिए!

फेक न्यूज़ पर आयोग का ‘सर्जिकल स्ट्राइक’

ECI की ये किताब दिखाती है कि फेक न्यूज़ का इलाज सिर्फ चाय नहीं, चेकिंग भी है।
इसमें बताया गया है कि कैसे अफवाहों का रियल टाइम में जवाब दिया गया, कैसे सोशल मीडिया को ‘साफ-सुथरा’ रखने की कोशिश हुई।

बिलकुल वैसे ही जैसे मम्मी रूम साफ करने से पहले धमकी देती हैं – “अब अगली बार झूठा पोस्ट किया ना तो आयोग से बुलावा आ जाएगा!”

बुक पढ़ें या WhatsApp से ब्रेक लें – चुनाव में सच जानना जरूरी है!

इस किताब को रिलीज करना एक सिग्नल है कि अब अफवाहों की शामत आने वाली है।
ECI खुद अब ट्विटर पर फैक्ट चेक कर रहा है, और ज़रूरत पड़ी तो शायद अगली बार चुनाव से पहले “WhatsApp Detox Kit” भी बांट दे!

आख़िर में, एक सुझाव…

ECI Fact Check Book को पढ़ने से न सिर्फ दिमाग साफ़ होगा, बल्कि अगली बार कोई दोस्त बोलेगा – “भाई, सुना क्या?”, तो आप कह सकेंगे:

“सुना नहीं भाई, पढ़ा है… ECI की किताब में!”

“हमले से न खुश ट्रंप, न रूबियो – नेतन्याहू बोले, चलो आगे बढ़ते हैं!”

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