
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर दावा किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच जो सैन्य संघर्ष हुआ था, वो उनके फोन कॉल से रुक गया।
ट्रंप ने व्हाइट हाउस की एक सभा में कहा, “उन्होंने पांच विमान गिराए थे। मैंने फोन किया और बोला — अब और व्यापार नहीं। और युद्ध रुक गया।”
ट्रंप की माने तो उन्होंने सिर्फ भारत-पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि कांगो और रवांडा जैसे देशों के भी टकराव शांति से निपटा दिए।
अब ट्रंप के पास क्या है — UNSC की सदस्यता या “World Peace CEO” की पोस्ट, यह अभी साफ नहीं।
कांग्रेस ने पूछा: “देश के सम्मान के साथ व्यापार हुआ क्या?”
ट्रंप के इस बयान पर कांग्रेस ने कड़ा पलटवार किया। पार्टी ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर लिखा,
“ट्रंप ने 25वीं बार अपनी बात दोहराई। मोदी ने देश के सम्मान का सौदा क्यों किया?”
कांग्रेस ने यह भी पूछा कि क्या ट्रंप के एक फोन कॉल पर भारत की विदेश नीति और सैन्य रणनीति बदल सकती है?
अगर हां, तो अगली बार UN का कोई प्रस्ताव क्यों? सीधा व्हाइट हाउस कॉल सेंटर से समाधान ले आइए।
क्या ट्रंप की यह बात नई है?
बिलकुल नहीं। ट्रंप ने कई बार यही बात दोहराई है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच “परमाणु युद्ध” रोक दिया। हर बार कांग्रेस पूछती है, हर बार सरकार चुप रहती है — और ट्रंप हर बार नए अंदाज़ में दोहराते हैं।
ये वही ट्रंप हैं जिन्होंने पहले भी कहा था कि मोदी ने खुद उन्हें मध्यस्थता के लिए कहा था, जिसे भारत सरकार ने सिरे से नकारा था।
फिर भी ट्रंप बोले जा रहे हैं — अब शायद कोई स्क्रिप्ट की तरह याद कर लिया हो।
परमाणु युद्ध की चेतावनी: ज़्यादा बोलें या ज्यादा सोचे?
ट्रंप का यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब भारत-पाक रिश्तों में शांति का माहौल है। पर ट्रंप ने “परमाणु युद्ध” का ज़िक्र कर फिर से एक पुराना डर उभार दिया। हालांकि भारत सरकार की ओर से अब तक इस बयान पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
ट्रंप का दावा, कांग्रेस का वार — और मोदी सरकार की चुप्पी
जब एक विदेशी नेता दावा करे कि उसने आपकी युद्ध नीति बदल दी, तो या तो आपको गर्व करना चाहिए (अगर सच है),
या फिर गंभीरता से खंडन (अगर झूठ है)।
लेकिन मोदी सरकार इस मुद्दे पर संघर्ष से भी ज्यादा शांत है।
कांग्रेस का सवाल साफ है:
“देश के सम्मान का सौदा क्या किसी फोन कॉल के बदले हुआ?”
और अगर नहीं हुआ — तो सरकार जवाब क्यों नहीं देती?