
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपने “अनपेक्षित” अंतरराष्ट्रीय प्रस्तावों के साथ चर्चा में हैं। इस बार उन्होंने यूरोपीय संघ से अपील की है कि वह भारत और चीन पर 100 प्रतिशत तक टैरिफ लगाए — और वजह? ताकि पुतिन डर जाएं और यूक्रेन में जंग रोक दें।
अब इसे ट्रंप की रणनीति कहें या ‘सठियाया ट्रंप मॉडल’, लेकिन ये बयान वाकई में सिर खुजाने जैसा है।
ट्रंप का तर्क: “टैक्स लगाओ ताकि पुतिन डरें”
यूरोपीय संघ और अमेरिका के अधिकारियों के बीच रूस पर आर्थिक दबाव बढ़ाने की बातचीत के दौरान ट्रंप ने ये प्रस्ताव रखा।
उनका कहना है कि अगर EU, चीन और भारत पर भारी टैक्स लगाए, तो रूस पर अप्रत्यक्ष रूप से दबाव पड़ेगा।
बात सीधी है – “पड़ोसी के बकरे को मारो, शायद तुम्हारा भेड़िया डर जाए!”
अमेरिका तैयार, मगर अकेले नहीं!
इस प्रस्ताव से पहले अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट कह चुके हैं कि अमेरिका आर्थिक दबाव बढ़ाने को तैयार है, लेकिन उसे “मज़बूत यूरोपीय समर्थन” की ज़रूरत है।
अब यूरोपीय संघ क्या कहे – “अरे भाई, हम क्यों भारत-चीन से पंगा लें, तुम्हारा पुतिन है, तुम निपटो!”
ट्रंप की डिप्लोमेसी VS सोशल मीडिया रणनीति
ट्रंप ने एक ओर ये बयान पत्रकारों को दिए, वहीं दूसरी ओर ‘ट्रुथ सोशल’ पर भी पोस्ट किया कि:
“भारत और अमेरिका व्यापारिक मुद्दों को सुलझाने के लिए बातचीत में हैं। मैं जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करूंगा।”
अब ये पोस्ट “मुलाक़ात की घोषणा” थी या “नोटिफिकेशन ऑफ कंटेंट अपलोड” — यह तो केवल ट्रंप ही जानें!
मोदी जी का जवाब: “दोस्ती पक्की, बातचीत जारी”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रंप की इस पोस्ट का जवाब दिया:

“भारत और अमेरिका स्वाभाविक साझेदार हैं। मुझे भरोसा है कि हमारी व्यापार वार्ताएं नए रास्ते खोलेंगी।”
अब मोदी जी तो हमेशा की तरह संतुलित रहे। उन्होंने ये नहीं कहा कि “आपके 100% टैरिफ वाले सपने का क्या?” – बस अपनापन दिखाया और बात को आगे बढ़ाया।
ट्रंप सठिया गए हैं या स्ट्रैटेजिक प्ले कर रहे हैं?
अगर कोई अंतरराष्ट्रीय राजनीति का छात्र हो, तो शायद उसे ये सवाल लंबे समय तक परेशान करेगा – “क्या ट्रंप की ये चालें कूटनीति हैं या कॉमेडी?”
वैसे ट्रंप तो पहले भी कहते आए हैं कि “Only I can fix it.”
अब उन्हें शायद लगता है कि पुतिन को डराने के लिए चीन और भारत की जेब में हाथ डालना ज़रूरी है।
डोनाल्ड ट्रंप के “100% टैरिफ प्लान” ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय राजनीति को अचंभे में डाल दिया है। जहां एक ओर यह प्लान रूस पर दबाव बनाने की कोशिश है, वहीं दूसरी ओर यह भारत और चीन के साथ रिश्तों को डगमगाने का खतरा भी पैदा करता है।
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