
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में स्थित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (DDUGU) ने हाल के वर्षों में अपनी राष्ट्रीय उपस्थिति को जबरदस्त तरीके से बढ़ाया है। इस बार स्नातक (UG) और परास्नातक (PG) कक्षाओं में प्रवेश पाने वाले छात्रों की संख्या 15 राज्यों से बढ़ी है, जो पिछले सत्र के 8 राज्यों की तुलना में दोगुनी से भी ज्यादा है। इससे विश्वविद्यालय की देशभर में पहुंच एक नए मुकाम पर पहुंची है।
अभूतपूर्व राष्ट्रीय पहुंच — 26 में से 15 राज्यों से छात्रों का प्रवेश
भारत के कुल 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों में से विश्वविद्यालय को 26 राज्यों से आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से 15 राज्यों के छात्रों ने प्रवेश पाया। इनमें हिंदी भाषी क्षेत्र जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश के साथ पूर्वोत्तर के असम, त्रिपुरा, सिक्किम और अन्य राज्यों के छात्र शामिल हैं। यह विश्वविद्यालय की बहुआयामी सफलता और भारतीय शिक्षा मानचित्र पर उसकी बढ़ती महत्ता को दर्शाता है।
कल्पनाशीलता और नवाचार के दम पर बढ़ी विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा
DDUGU ने उच्च शिक्षा की गुणवत्ता, नवाचार, और प्रशासनिक सुधारों के माध्यम से एक ऐसा वातावरण बनाया है जो बाहरी छात्रों को आकर्षित करता है। कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन के दूरदर्शी नेतृत्व में विश्वविद्यालय ने नैक मूल्यांकन और विश्वस्तरीय रैंकिंग्स में लगातार बेहतर प्रदर्शन किया है, जिससे यह एक उच्च शिक्षा का प्रतिष्ठित केंद्र बन गया है।
शोध के क्षेत्र में राष्ट्रीय विस्तार
शोध पात्रता परीक्षा (RET) में भी विश्वविद्यालय की पकड़ मजबूत हुई है। 2023 की RET परीक्षा में 9 राज्यों के शोधार्थी सफल हुए थे, जबकि 2024 में यह संख्या बढ़कर 12 राज्यों तक पहुंच गई है। यह संकेत है कि विश्वविद्यालय की शोध-संबंधित कार्यशालाएँ और संसाधन देशभर के छात्रों के लिए आकर्षक साबित हो रहे हैं।

सांस्कृतिक बहुलता और छात्रों की खुशी
कुलपति पूनम टंडन ने विश्वविद्यालय में विविधता और सांस्कृतिक बहुलता को बढ़ावा देने की अहमियत पर जोर दिया है। छात्र न केवल पढ़ाई में बल्कि सामाजिक रूप से भी विश्वविद्यालय के माहौल का आनंद ले रहे हैं।
युवा पीढ़ी का डिजिटल दौर में सही विकल्प
प्रवेश प्रकोष्ठ के निदेशक प्रो हर्ष कुमार सिन्हा के अनुसार, युवा छात्र इंटरनेट के माध्यम से विभिन्न विश्वविद्यालयों की तुलना करते हैं और DDUGU के निरंतर बेहतर प्रदर्शन और विश्वस्तरीय रैंकिंग की वजह से यहां आकर्षण बढ़ा है। लगभग पूरे भारत के छात्र अब इस विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय शिक्षा केंद्र के रूप में चुन रहे हैं।
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