
सोशल मीडिया के इस स्वर्ण युग में पत्रकारिता सिर्फ खबरें देने का माध्यम नहीं रही, बल्कि इमोशनल एंगेजमेंट का आर्टफॉर्म बन चुकी है।
अब पत्रकार कितना सच बोलते हैं, उससे ज़्यादा ज़रूरी है — उनकी पोस्ट पर कितने लोग “वाह उम्दा विश्लेषण” कॉमेंट कर रहे हैं!
हर पोस्ट के नीचे वही कॉपी-पेस्ट श्रद्धांजलि स्टाइल कॉमेंट्स:
“आपकी लेखनी को सलाम”, “आपने तो पूरी सरकार हिला दी”, “आपसे बेहतर कोई नहीं!”
ऐसा लगने लगा है जैसे पत्रकार अब सिर्फ सरकार से ही नहीं, अपने फॉलोअर्स से भी तारीफ की उम्मीद रखने लगे हैं — वो भी कॉपी-पेस्ट फॉर्मेट में।
हम “डिजिटल चाटुकारिता” का विश्लेषण करेंगे — थोड़ा नमक, थोड़ा व्यंग्य और ढेर सारा मज़ा लेकर!
“वाह! उम्दा विश्लेषण” — और Copy-Paste का उत्सव शुरू
आजकल सोशल मीडिया पर किसी भी पत्रकार की पोस्ट के नीचे 15-20 एक जैसे कमेंट देखने को मिलते हैं:
“आपकी कलम में जादू है!”,
“आप ही इस विषय को बेहतर ढंग से लिख सकते हैं!”,
“वाह उम्दा विश्लेषण!”
अगर आपने ये कॉमेंट्स किसी व्हाट्सएप ग्रुप से कॉपी-पेस्ट नहीं किए, तो शायद आप “डिजिटल संस्कृति” से पीछे हैं।
कॉमेंट्स का Copy-Paste मसाला – स्वादानुसार नमक डालें
कुछ कॉमेंट्स तो ऐसे लगते हैं जैसे वो एक Auto Generated Toolkit से आए हों:
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“सलाम आपकी लेखनी को”
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“आपसे बेहतर जनसेवा कोई नहीं कर रहा”
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“आपने तो पूरी सरकार हिला दी!”
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“आप एक निष्पक्ष पत्रकार हो!”
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“मेरे मन की बात कह दी”
यहाँ तक कि एक universal comment format भी है:
“Nice, सही सुझाव, सहमत, ऐसे ही लिखते रहिए, पढ़कर अच्छा लगा”
Translation: मैं कुछ समझा नहीं, लेकिन एक्टिव दिखना ज़रूरी है!
पत्रकारों की लेखनी या पोस्टिंग KPI?
अब सोशल मीडिया पत्रकारिता की दशा कुछ ऐसी हो गई है कि लेखनी से ज़्यादा ज़रूरी हो गया है:
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कितने Copy-Paste कॉमेंट्स आए?
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किसने सबसे जल्दी “वाह” लिखा?

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किस फॉलोअर ने सबसे ज़्यादा चाटुकारिता की?
कभी-कभी तो लगता है पत्रकार खुद ही अपने पोस्ट पर “Well said” टाइप कर देते हैं, ताकि माहौल बने।
रचनात्मक आलोचना? वो तो अब Old School हो गई
“आपका विश्लेषण पक्षपाती लग रहा है” या “आप इस मुद्दे के दूसरे पक्ष को भी देखें” — ऐसे कमेंट्स अब दिखते ही नहीं।
क्योंकि ये पत्रकार को खुश नहीं करते। और भाई, पत्रकार को खुश नहीं किया तो RT कैसे मिलेगा?
Quote Tweet में तारीफ कहाँ से आएगी?
AI-generated पोस्ट, AI-generated कॉमेंट्स
जहाँ पोस्ट GPT-4 से लिखे जा रहे हैं, वहाँ कॉमेंट भी GPT-Lite फॉलोअर्स से आने लगे हैं। डिजिटल लोकतंत्र में ये है नया टूल:
“मर्मस्पर्शी” + “आपसे बेहतर कोई नहीं” + “जियो भाई” = Instant Engagement
कॉमेंट की कला या डिजिटल चरण-स्पर्श?
पत्रकार अगर 5वीं बार सरकार की आलोचना कर रहे हैं, और हर बार वही 5 कॉमेंट आ रहे हैं, तो शायद लेखनी से ज़्यादा कॉमेंटिंग स्क्रिप्ट चल रही है।
“वाह! आपने फिर वही लिखा, और हमने फिर वही लिखा” — यही है सोशल मीडिया पत्रकारिता का नया योग।
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वाह उम्दा विश्लेषण
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सटीक
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आपकी कलम में जादू है
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आप से बेहतर कोई नहीं
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मेरी भावना आपके शब्दों से जुड़ गई
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आपने तो पूरी सरकार हिला दी
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मर्मस्पर्शी लेख, दिल छू गया
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पत्रकारिता के शेर!
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अगली बार पुलित्ज़र आपका
बाकी स्वादानुसार नमक आप खुद डालें।
