
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत को लेकर बड़ी बात कही है। व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने कहा, “हम भारत के साथ एक बेहतरीन व्यापार समझौते के बेहद करीब हैं। अमेरिका के लिए भारत के बाजार और खुलेंगे।”
इस बयान ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में हलचल पैदा कर दी है, खासतौर पर अमेरिकी टेक और फार्मा कंपनियों में जो भारत में विस्तार की उम्मीद लगाए बैठी थीं।
डील की टाइमलाइन: कई डेडलाइन, एक उम्मीद
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2 अप्रैल को अमेरिका ने भारत पर 27% टैरिफ लगाने की धमकी दी थी।
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टैरिफ को पहले 9 जुलाई और फिर 1 अगस्त तक के लिए स्थगित किया गया।
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अब ट्रंप के ताज़ा बयान ने इस डील के फाइनल होने की उम्मीदें फिर से जगा दी हैं।
अमेरिका को क्या चाहिए?
अमेरिका की कंपनियां चाहती हैं कि भारत:
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मेडिकल डिवाइसेस पर मूल्य सीमा हटाए
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ई-कॉमर्स और डेटा लोकलाइजेशन के नियमों में ढील दे
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फार्मा, टेक, डेयरी सेक्टर में अमेरिकी निवेश को मंज़ूरी दे
भारत की चिंताएं क्या हैं?
भारत चाहता है कि:
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अमेरिका जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेज़ (GSP) का दर्जा वापस दे
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स्टील और एलुमिनियम टैरिफ हटाए
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IT सेवाओं और वीजा नीतियों पर नरमी दिखाए
ट्रंप की डील भी सीरियल जैसी, हर हफ्ते नया ट्विस्ट!
ट्रंप के बयान अब कुछ ऐसे हो चले हैं जैसे कोई ओटीटी सीरीज़ – “कभी डील पक्की, कभी टैरिफ की धमकी, फिर डेडलाइन पोस्टपोन।”
कूटनीति में इसे “नियोनेशनलिज्म मीट्स बिज़नेस ड्रामा” कहा जा सकता है।
क्या हो सकता है असर?
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भारत में विदेशी निवेश को बल मिल सकता है
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अमेरिकी टेक और हेल्थकेयर कंपनियों को बड़ा बाज़ार मिलेगा
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टैरिफ विवाद सुलझने से निर्यातकों को राहत मिलेगी
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भारतीय आईटी सेक्टर को H-1B वीजा में सहूलियत मिल सकती है
ट्रंप की “डील डायलॉगबाज़ी” कब असलियत बनेगी?
बयानबाज़ी के इस अंतरराष्ट्रीय कुश्ती में असली पहलवानी तब मानी जाएगी जब दस्तख़त हों।
अभी तक तो अमेरिका-भारत व्यापार समझौता “बहुत करीब” लगता है — जैसे मेट्रो में सीट मिलने की उम्मीद!
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