
सचिन से सिंधिया—सियासत की वो कहानियाँ जो चुभती भी हैं और हंसाती भी। कहा जाता है कि कांग्रेस कभी वफादारी का ईनाम देती थी। मगर आज की कांग्रेस में मामला उल्टा होता दिखता है—वफादार नेता मेनकोर्स में नहीं, बल्कि गलावटी कबाब बनकर बुजुर्ग नेताओं की थाली की शोभा बढ़ा रहे हैं।
सचिन पायलट: मेहनत उन्हीं की, गलौटी कबाब किसी और की
राजेश पायलट के सपूत, सचिन पायलट—राजस्थान का वो युवा चेहरा जिसने कांग्रेस की डूबती नैया को किनारे लगाया था। सबको लगा था कि मेहनत की कमाई उन्हें CM Chair के रूप में मिलेगी। लेकिन जैसे ही प्लेट सजी…आ गए “काका अशोक गहलोत”! और सचिन की थाली से सीएम वाला गलौटी कबाब बड़ी नफ़ासत से उठा लिया गया।
सचिन आज भी वफादार हैं—शायद उम्मीद पर दुनिया कायम है, राजनीति भी।
सिंधिया: MP में मेहनत उनकी, कुर्सी किसी और की
माधवराव सिंधिया के बेटे, ज्योतिरादित्य सिंधिया, जिन्होंने अपनी जान लगा दी मध्य प्रदेश में कांग्रेस को वापस लाने में। सब सोच चुके थे—“अबकी बार ज्योतिरादित्य सरकार!”
लेकिन… कुर्सी पर बैठे कमलनाथ जी, और सिंधिया जी को दिया गया नया टाइटल “MP का गलौटी कबाब”।
बाकी कहानी इतिहास है—आज वे केंद्रीय मंत्री हैं।
मिलिंद देवड़ा, आरपीएन सिंह, जितिन प्रसाद:
कांग्रेस के ‘नेपथ्य वाले’ तीन शहज़ादे, जब इन्हें बार-बार किनारे किया गया तो इन्होंने सोचा कि “बेइज़्ज़ती झेलने से बेहतर है पार्टी को नमस्ते कह देना।”
आज— मुरली के बेटे मिलिंद देवड़ा शिवसेना (शिंदे गुट) में, जीतेन्द्र के बेटे जितिन प्रसाद और सी. पी. एन. सिंह आरपीएन सिंह BJP में सब सम्मान में और सक्रिय राजनीति में अपनी जगह बना चुके हैं। जबकि इनके परिवार खांटी कांग्रेसी थे।

हेमंत बिस्वा शर्मा से लेकर जगन रेड्डी तक—Congress की ‘Elder Politics’ का लंबा इतिहास
हेमंत बिस्वा शर्मा जब कांग्रेस में थे, उन्हें कोई गंभीरता से नहीं लेता था। आज BJP में जाकर CM हैं। वाईएसआर रेड्डी के बाद जगन मोहन रेड्डी और उनकी माँ के साथ जैसा व्यवहार हुआ, उसने भी कांग्रेस की यंग-बनाम-बुजुर्ग राजनीति को उजागर किया।
कांग्रेस के ‘काका’—जहाँ Loyalty से ज्यादा जरूरी है Flattery का PhD
चाहे कमलनाथ हों या अशोक गहलोत— इन नेताओं ने चापलूसी-विद्या में महारत हासिल की है। और राहुल गांधी को यही सबसे पसंद है— जो बस “जी सर” कहें और बाकी दुनिया भूल जाएं।
क्या कांग्रेस बदल सकती थी अपनी किस्मत?
अगर सचिन पायलट, सिंधिया, मिलिंद देवड़ा, जितिन प्रसाद और आरपीएन सिंह को उनकी योग्यता के हिसाब से जगह मिलती— तो आज कई राज्यों में कांग्रेस की स्थिति अलग होती।
लेकिन समस्या यह है कि राहुल गांधी सो नहीं रहे, सोने का नाटक कर रहे हैं। और जो जगना ही न चाहे, उसे कोई कैसे जगा सकता है?
जान लीजिये गलौटी कबाब क्या होता है
गलौटी कबाब लखनऊ का एक पारंपरिक व्यंजन है, जो अपनी नरम बनावट के कारण प्रसिद्ध है, क्योंकि यह मुँह में घुल जाता है। यह बारीक पिसे हुए कीमा और १०० से अधिक मसालों के मिश्रण से बनता है। यह कबाब अपनी कोमलता के लिए जाने जाते हैं और जिनके दांत नहीं होते उनको भी भरपूर मजा देते हैं जैसे ऊपर आपने पढ़ ही लिया है।
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