यूपी की जेलों में कमिशनखोरी का खेल!

महेंद्र सिंह
महेंद्र सिंह

उत्तर प्रदेश की जेलों में बंदियों को मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता और पारदर्शिता पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। सूत्रों के हवाले से सामने आई जानकारी के अनुसार, जेलों में गेहूं-चावल की आपूर्ति में भारी कमिशनखोरी चल रही है। सबसे गंभीर बात यह है कि कारागार मुख्यालय द्वारा तैयार की गई क्रय नीति को खुद मंत्री द्वारा दरकिनार कर दिया गया।

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खाने में भी ‘डील’!

कारागार विभाग ने जेलों में बंदियों के लिए स्वतंत्र आपूर्ति व्यवस्था बनाने हेतु दर्जनों बैठकें कर एक नई क्रय नीति बनाई थी। यह नीति बाजार के रेट के अनुसार सीधी खरीद की अनुमति देती, जिससे न सिर्फ गुणवत्ता बेहतर होती बल्कि सरकार का लाखों का राजस्व भी बचता। लेकिन सूत्रों के मुताबिक, जब यह फाइल कारागार मंत्री दारा सिंह चौहान के पास पहुंची, तो उन्होंने इसे नामंजूर कर दिया और आपूर्ति पुनः कल्याण निगम से कराने के आदेश दे दिए

चहेते ठेकेदारों को फायदा

कथित तौर पर यह पूरा खेल ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने और मोटे कमीशन की व्यवस्था बनाए रखने के लिए किया गया। सूत्रों के मुताबिक पूर्व कारागार राज्यमंत्री के करीबी ठेकेदार अब भी कई जेलों में दाल, तेल और चावल की आपूर्ति कर रहे हैं – वह भी बाजार दर से कहीं ज्यादा कीमत पर। राजधानी की जिला जेल में फतेहपुर की एक फर्म की आपूर्ति का उदाहरण लगातार सामने आ रहा है।

मंत्री फोन पर नहीं, अधिकारी चुप

जब इस पूरे मामले में मंत्री दारा सिंह चौहान से संपर्क की कोशिश की गई, तो कई प्रयासों के बावजूद उनसे बात नहीं हो सकी। वहीं, कारागार मुख्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने क्रय नीति बनाए जाने की पुष्टि तो की, लेकिन आगे कुछ भी कहने से इनकार कर दिया

इस पूरे मामले से साफ संकेत मिलते हैं कि बंदियों के भोजन तक को कमाई का जरिया बना दिया गया है। सवाल यह है कि जब विभागीय अधिकारी पारदर्शिता की दिशा में कदम उठा रहे थे, तो उन्हें मंत्री स्तर से ही क्यों रोका गया? क्या यह सिर्फ नीति असहमति थी या फिर पर्दे के पीछे कोई राजनीतिक और आर्थिक गठजोड़ चल रहा है?

यदि इस आपूर्ति घोटाले की निष्पक्ष जांच कराई गई, तो कई बड़े नाम बेनकाब हो सकते हैं।

बाजार रेट से अधिक दाम पर खरीदा जा रहा गेहूं चावल!

कारागार विभाग में प्रदेश की जेलों में गेहूं चावल की आपूर्ति मनमाफिक दामों पर करके सरकार का मोटे राजस्व का चुना लगाया जा रहा है। मिली जानकारी के मुताबिक वर्तमान समय में बाजार में जो गेहूं खुलेआम 22 से 25 रुपए प्रति किलोग्राम बिक रहा है। इसी प्रकार चावल 25 से 30 रुपए में बेचा जा रहा है। वहीं गेहूं प्रदेश की जेलों में 32 से 35 रुपए में और चावल 35 से 37 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से आपूर्ति की जा रही है। इस भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए कारागार मुख्यालय ने गेहूं चावल की क्रय नीति तैयार की थी। इस नीति को मंजूरी न देकर गेहूं चावल की आपूर्ति कल्याण निगम से ही कराई जा रही है।

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