बच गए बृजभूषण! कानून बोला – सबूत नहीं मिले, इरादे समझ नहीं आए

आशीष शर्मा (ऋषि भारद्वाज)
आशीष शर्मा (ऋषि भारद्वाज)

सोमवार, 26 मई को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में न्याय का पलड़ा कुछ यूं झुका कि ‘दांव पर दांव’ लगाने वाले बृजभूषण शरण सिंह को बड़ी राहत मिली। दिल्ली पुलिस की ‘क्लोजर रिपोर्ट’ कोर्ट ने स्वीकार कर ली और पॉक्सो कानून के तहत दर्ज केस को “निस्तारित” कर दिया गया। अब सवाल है — क्या यह कानूनी क्लीन चिट है या कुश्ती की तरह कोई मैच फिक्स?

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एक नाबालिग, एक बयान और फिर पलट

2023 में एक नाबालिग पहलवान के पिता ने आरोप लगाया था कि उनकी बेटी का यौन उत्पीड़न हुआ है। आरोप गंभीर थे, धाराएँ भी — पॉक्सो की धारा 10 और धाराएँ 354, 354A, 354D। पर गाथा यहीं नहीं रुकी। कुछ ही हफ्तों में पिता ने बयान बदल दिया और कहा कि “कुछ आरोप ग़लत थे।”

दिल्ली पुलिस ने भी हाथ खड़े कर दिए। “सबूत नहीं मिले”, “गवाह कुछ कह नहीं रहे”, “कोच ने भी कुछ नहीं कहा।” रिपोर्ट बना दी, अदालत ने देखी, सुनी और मुक़दमा खत्म कर दिया।

तो अब क्या?

कानून कहता है कि “अपराध मिटता नहीं, बस दबता है” — और अगर भविष्य में कोई नया सबूत सामने आता है, तो मामला दोबारा खोला जा सकता है। प्रोटेस्ट पेटिशन का भी रास्ता है।

हालाँकि, इस केस के बंद होते ही एक राजनीतिक रंग फिर से उभरता है — क्या पुलिस की जाँच निष्पक्ष थी? क्या बयान का बदलना दबाव का नतीजा था? क्या न्याय सचमुच हुआ?

लेकिन अभी दूसरा मुकाबला बाकी है

यह कहानी अभी खत्म नहीं हुई है। दूसरा केस अभी कोर्ट में है, जिसमें छह महिला पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह और पूर्व सचिव विनोद तोमर पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं।

इस केस में मई 2024 में कोर्ट ने चार्ज फ़्रेम कर दिए हैं। धारा 354 और 354A के तहत मुक़दमा चलेगा। एक महिला की शिकायत पर उन्हें ‘डिस्चार्ज’ किया गया, बाकियों पर ट्रायल चल रहा है।

राजनीति और पहलवान आमने-सामने

जब न्याय की लड़ाई में साक्षी मलिक और विनेश फोगाट जैसी हस्तियाँ सड़क पर उतरीं, तो देश की आत्मा हिली। लेकिन जैसे-जैसे वक्त गुजरा, सड़कों की गूंज अदालत की दीवारों से टकरा कर खो गई।

अब ये केस न्याय की कसौटी पर नहीं, बल्कि सिस्टम की नीयत पर सवाल छोड़ गया है।

बृजभूषण शरण सिंह के लिए ये कानूनी जंग का एक राउंड खत्म हुआ है, लेकिन मैच अभी बाकी है। पहलवानों के सवाल, पीड़ा और न्याय की उम्मीदें अब भी अधूरी हैं। और शायद देश को ये तय करना है कि अगली बार, पहलवान किस मैट पर उतरें — कुश्ती के या फिर कोर्ट के।

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