
भारतीय रक्षा क्षेत्र में एक और मील का पत्थर जुड़ गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को वर्चुअल माध्यम से लखनऊ में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल उत्पादन यूनिट का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक समेत कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।
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सीएम योगी ने कहा –
“आपने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान ब्रह्मोस मिसाइल की एक झलक देखी होगी। अगर नहीं देखी, तो पाकिस्तान के लोगों से पूछ लीजिए।”
‘ऑपरेशन सिंदूर’ और ब्रह्मोस की ताकत
हाल ही में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के ज़रिए भारत ने पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में एयरस्ट्राइक की, जिसमें ब्रह्मोस मिसाइल की भूमिका अहम रही। यही मिसाइल अब लखनऊ यूनिट में बड़े पैमाने पर बनाई जाएगी, जो हर साल 80 से 100 मिसाइलें और 100 से 150 अगली पीढ़ी की ब्रह्मोस मिसाइलें तैयार करेगी।
इसकी रेंज 290-400 किमी तक और गति 2.8 मैक (आवाज़ से लगभग तीन गुना तेज़) होगी। नई पीढ़ी की ब्रह्मोस का वजन घटाकर 1,290 किलोग्राम कर दिया गया है, जिससे सुखोई जैसे लड़ाकू विमान अब एक की जगह तीन मिसाइलें ले जा सकेंगे।
आत्मनिर्भर भारत की ओर एक और कदम
यह यूनिट भारत-रूस के संयुक्त उपक्रम ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा संचालित की जा रही है। यूनिट को 300 करोड़ रुपये की लागत से सिर्फ 3.5 वर्षों में तैयार किया गया। यह 2018 में पीएम मोदी द्वारा घोषित उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारे का हिस्सा है।
यूपी का यह रक्षा गलियारा अब तमिलनाडु के बाद देश का दूसरा सबसे मजबूत रक्षा निर्माण केंद्र बन गया है, जिसमें लखनऊ, कानपुर, अलीगढ़, आगरा, झांसी और चित्रकूट जैसे शहर शामिल हैं।
आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक संदेश
सीएम योगी का स्पष्ट संदेश था –
“आतंकवाद की कोई भी कार्रवाई अब युद्ध की कार्रवाई मानी जाएगी। भारत अब जवाब चुपचाप नहीं देगा, बल्कि उसी की भाषा में देगा।”
इस यूनिट के ज़रिए भारत ने सिर्फ अपनी सैन्य क्षमताओं को विस्तार नहीं दिया, बल्कि एक राजनीतिक-सामरिक संदेश भी दिया है – आतंकवाद के विरुद्ध कोई भी नरमी नहीं।
लखनऊ में ब्रह्मोस यूनिट का उद्घाटन सिर्फ एक फैक्ट्री की शुरुआत नहीं, बल्कि भारत की सैन्य, कूटनीतिक और रणनीतिक संप्रभुता का नया अध्याय है। भारत अब ‘रिएक्टिव’ नहीं, बल्कि ‘प्रोएक्टिव’ रणनीति अपनाने की ओर बढ़ रहा है।
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