
कानपुर से बीजेपी विधायक महेश त्रिवेदी ने ऐसा बयान दे दिया है, जिसे सुनकर कुछ लोग हंसे, कुछ चौंके, और बाकी बस “Facepalm” करते रह गए।
बयान था:
“हमें तो तनख्वाह मिल रही है। 10% विधायक निधि का कमीशन भी मिल रहा है। तुम लोगों को क्या मिल रहा है?”
जनता की तरह हम भी पूछना चाहते हैं — “Sir, आपको RTI भेजें या सीधा नौकरी के लिए CV?”
10% कमीशन की स्वीकारोक्ति: नया ट्रेंड सेट?
महेश त्रिवेदी के इस “Public Confession” ने सोशल मीडिया पर भूचाल ला दिया है। जहां एक ओर नेता अकसर कहते हैं “हम सेवा करते हैं”, वहीं त्रिवेदी जी ने ये कहकर सबका गेम बिगाड़ दिया कि “हमको 10% मिलता है।”
अब बाकी विधायक दोराहे पर खड़े हैं:
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सच बोलें तो जनता गरम
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झूठ बोलें तो महेश जी वायरल!
MLA निधि: सेवा या सेंवई?
विधायक निधि, जो जनता की भलाई के लिए होती है, अब ट्रोलर्स के लिए “कमीशन क्लब” बन चुकी है। विधायक जी ने बयान में तो मज़ाकिया लहजा अपनाया था, पर जनता इसे “सिस्टम का रिवील” मान रही है।
“तुम लोगों को क्या मिल रहा है?” – एक Valid Question!
त्रिवेदी जी का सवाल था — “तुमको क्या मिल रहा है?”
तो आइए, हम जवाब देते हैं:
जनता को मिला | विवरण |
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बिजली का बिल | सब्सिडी नहीं, सिर्फ सदमा |
सड़क | गड्ढों की श्रृंखला |
पानी | आता है, सपने में |
न्याय | फेसबुक पोस्ट में |
क्या यह ‘गफलत’ थी या जानबूझकर ‘गर्दा’ उड़ाना?
राजनीति में जब कोई सच बोलता है, तो या तो वो ‘संन्यासी’ होता है या ‘सस्पेंडेड’। महेश त्रिवेदी किस कैटेगरी में आते हैं, यह तो बीजेपी हाईकमान तय करेगा।
पर जनता तय कर चुकी है — “नेता तो वही, जो ऑन कैमरा भी ऑफ रिकॉर्ड बोल दे!”
सच्चाई का इतना भी ‘ओवरडोज’ मत दो, सर!
नेता अक्सर अपनी उपलब्धियों को “छुपा” लेते हैं, पर त्रिवेदी जी ने अपनी कमाई की कमाई Live Stream कर दी। आख़िर में जनता अब यही कह रही है- “अगर सच बोलने के पैसे मिलते, तो नेता सबसे अमीर होते!”
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