
बिहार में अबकी फिर चुनाव के घड़ी आवते सियासत में उबाल आ गइल बा। एगो ओर एनडीए में बीजेपी-जेडीयू के लव-मैरिज अब बियाह के बाद झगड़ा वाला मोड में बा, तो दोसरा ओर महागठबंधन यानी इंडिया के कांग्रेस-आरजेडी ‘तू बोलेला त मैं बोलब’ के स्टाइल में campaign कर रहल बा।
बाकी असली मजा त एगो तेसर पक्ष दे रहल बा — छोटका दल, जे चुपचाप गठबंधन के पाप-पुण्य के हिसाब गड़बड़ कर देले।
छोटका दल के एंट्री: सभे गठबंधन के पसीना छूटल
अब देखीं न…
-
आम आदमी पार्टी (AAP) – केहू कहे कि जमानत जब्त पार्टी, बाकिर हर सीट पर लड़ाई खातिर खम ठोकले बा।
-
एआईएमआईएम (Owaisi जी) – सीमांचल के भाईजान वोट बैंक पर नजर बा, आ पिछला बेर RJD के 100 से नीचे रोकले रहले।
-
भीम आर्मी (Chandrashekhar Azad) – दलित वोट में सेंध लगावे के प्लान, एनडीए के लाइट आफ कर सकेला।
-
जन सुराज (PK बाबू) – गाँव-गाँव घूम के जन सुराज बनावल गइल, बाकिर देखल जाई वोट बन पाई की ना।
-
बीएसपी – यूपी से दलित पंडा उठा के बिहार में परसाद बांटे आवले बाड़ी।
पिछला बेर 11,000 वोट से पलट गइल सत्ता
जानकार कहेला – “ए बाबू, पिछला बेर RJD त बस 11 हजार वोट से सत्ता से बाहर हो गइल रही।”
अब सोचीं – छोटका दल अगर 10% वोट भी इधर-उधर कर दे, त गठबंधन के इहूं नइखे पता चली कि सरकार बनवल कि गिरा देल।
आम आदमी पार्टी: एंट्री भी बा, जमानत भी जप्त बा
AAP बोले कि सभे सीट पर लड़ब। बाकिर बिहार के जनता अबले त ‘मोदी बनाम तेजस्वी’ में ही व्यस्त रहेली।
AAP के पास बिहार में ना चेहरा बा, ना संगठन, बाकिर हिम्मत त गजब बा भई!
रउरा कह सकत बानी – “AAP लड़ले बिना माने ना लेले, चाहे हार के घर चल जाला।”
ओवैसी जी के सीमांचल एक्सप्रेस
पिछला बेर 5 सीट जीत के ओवैसी साब RJD के लाइन से बाहर भेज देले रहले। अबकी फेरु तइयारी बा – बाकिर RJD अब उनकर “सौतेला भाई” मान के महागठबंधन से बाहर रखले बा। अब देखल जाई, सीमांचल में के मुस्लिम वोट ले जाई – तेजस्वी कि ओवैसी?
चंद्रशेखर के दलित चक्रव्यूह
भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद 100 सीट पर उम्मीदवार उतार के पासवान, मांझी, जेडीयू सबके चैन छीन लेले बाड़न।
दलित वोट खातिर BAHU-BALI स्टाइल में मुकाबला होई। एनडीए के LJP (रामविलास जी वाला विरासत) भी संकट में बा।
सियासी नतीजा: “छोटका में ही बड़का असर”
ई छोट पार्टी चाहे वोट ना जीत पाव, बाकिर “गठबंधन में खलबली” के सबसे बड़ा ठेका इन्हीं के हाथ में बा। मतलब – राजा ना बने त कम से कम बनावे वाला त बनी ही!
ई बिहार ह, बाबू! एतना सीरियस न लीजिए राजनीति के!
अबकी बिहार चुनाव में नेता लोग भाषण देबो, वादा करबो, जाति जोड़बो, धर्म तोड़बो, बाकिर छोटका दल सब खेल बिना शोर के गड़बड़ कर देई।
चुनाव के मैदान में सब खिलाड़ी बा – बाकिर रेफरी के भूमिका में जनता बा, आ ऊ कब कवनका रिटायर्ड कर देई, कवनका फाइनल खेलवा देई – एह बात के कोई भरोसा नइखे!