
बिहार की जनता सड़क, पानी, शिक्षा के लिए तरस रही है और सरकार का ₹70,877 करोड़ ऐसे गायब है जैसे WhatsApp मैसेज में ‘Delete for Everyone’ कर दिया गया हो।
CAG (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) की ताजा रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि राज्य सरकार निर्धारित उद्देश्यों के लिए खर्च की गई राशि का उपयोगिता प्रमाणपत्र (UC) देने में विफल रही है। इसका मतलब: पैसा खर्च हुआ या सिर्फ कागज़ों में उड़ाया गया – कोई नहीं जानता।
49,649 उपयोगिता प्रमाणपत्र लापता – ये कौन सा जादू है सरकार?
31 मार्च 2024 तक सरकार 49,649 UCs नहीं दे पाई। ये ठीक वैसा है जैसे स्कूल में प्रोजेक्ट तो सबमिट कर दिया, लेकिन Viva में गए ही नहीं।
इसका सीधा मतलब – पैसा तो लिया, लेकिन क्या किया – कोई हिसाब नहीं!
भ्रष्टाचार का खुला न्योता?
UCs के अभाव में CAG रिपोर्ट साफ कहती है कि धन का गबन, दुरुपयोग और घोटाले की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
मतलब जो डर था, वही हुआ… या होने वाला है।
‘लापरवाह’ विभाग – नाम बड़े, काम ढीले
विभाग | लंबित राशि (₹ करोड़ में) |
---|---|
पंचायती राज विभाग | 28,154 |
शिक्षा विभाग | 12,624 |
शहरी विकास विभाग | 11,066 |
ग्रामीण विकास विभाग | 7,800 |
कृषि विभाग | 2,108 |
AC/DC नहीं, यहां तो बिल ही गायब हैं!
₹9,205.76 करोड़ की अग्रिम राशि (AC बिल) तो निकाल ली गई, पर इनके बदले DC (विस्तृत) बिल जमा नहीं किए गए।
यह नियमों का खुलेआम उल्लंघन है, जैसे कोई ATM से पैसे निकाले और बोले “पिन तो भूल गया था, हिसाब बाद में दूंगा।”
बजट खर्च और कर्ज की कुंडली
-
₹3.26 लाख करोड़ के बजट में से सिर्फ ₹2.60 लाख करोड़ (79.92%) खर्च किया गया।
-
₹65,512 करोड़ की बचत में से केवल 36.44% (₹23,875 करोड़) ही उपयोग हुआ।
-
देनदारियों में 12.34% की बढ़ोत्तरी, ₹28,107 करोड़ का आंतरिक ऋण बढ़ा।
राज्य सरकार का बजट प्लानिंग ऐसे लग रहा है जैसे शादी में मेहमानों को बुलाकर खाना आधा बनवाया गया हो।
राजकोषीय लक्ष्य? वो भी चूक गया, जैसे परीक्षा में आखिरी पन्ना पढ़ा ही नहीं!
15वें वित्त आयोग द्वारा तय राजकोषीय अनुशासन के लक्ष्य भी सरकार पूरा नहीं कर सकी। ऐसा प्रतीत होता है जैसे सरकार ने कहा हो –
“लक्ष्य हम नहीं, लक्ष्य हमें देखे।”
राजनीति गरम, प्रशासन पसीने में
विपक्ष और विशेषज्ञों ने मांग की है कि सभी लंबित प्रमाणपत्रों की जांच हो और दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
इधर सरकार ‘तथ्यात्मक त्रुटि’ कहकर बच निकलने की कोशिश कर रही है।
रिपोर्ट देख मुख्यमंत्री बोले – “ये UC कौन जमा करता है? WhatsApp पर भेज देते तो देख लेते!”
अधिकारी बोले – “सर, UCs रास्ते में हैं… Google Drive से डाउनलोड हो रहे हैं।”
विपक्ष बोला – “इतना पैसा गायब है, अब ‘पलायन’ नहीं, ‘धनायन’ हो रहा है बिहार से!”
CAG की रिपोर्ट: एक चेतावनी, जिसे अनसुना किया तो जवाबदेही की चिता जरूर जलेगी
ये सिर्फ एक रिपोर्ट नहीं, बिहार की आर्थिक शासन में गहराते अव्यवस्था का आईना है। अगर समय रहते सुधार नहीं हुआ, तो ना सिर्फ योजनाएं अधूरी रहेंगी, बल्कि जनता का विश्वास भी शून्य हो जाएगा।