बलिया हाई-प्रोफाइल अपहरण कांड निकला फर्जी, मचा सियासी भूचाल

Ajay Gupta
Ajay Gupta

उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले के सुखपुरा थाना क्षेत्र के घुसौती गांव में कथित तौर पर हुए हाई-प्रोफाइल अपहरण कांड ने जिस तरह राजनीतिक और सामाजिक हलकों में सनसनी फैलाई थी, वह अब झूठ और साजिश का जाल साबित हो रहा है।

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क्या था पूरा मामला?

3 मई की रात पुलिस को सूचना मिली कि अजय तिवारी का कुछ बदमाशों ने थार गाड़ी और बाइक से अपहरण कर लिया है। सूचना के बाद क्षेत्रीय पुलिस से लेकर एसपी ओमवीर सिंह तक मौके पर पहुंचे और चार टीमें गठित की गईं। मामले को लेकर पूरे ज़िले में राजनीतिक बयानबाजी और जातिगत तनाव भी शुरू हो गया।

पुलिस ने खोली पोल

कुछ दिनों की छानबीन के बाद पूरा मामला तब पलट गया जब खुद अजय तिवारी थाने में पेश होकर बोले कि वह किसी तीर्थधाम के लिए निकले थे। न कोई अपहरण हुआ, न मारपीट। पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट किया कि पूरा मामला पूर्वनियोजित और गढ़ा गया था। सभी नामजद आरोपियों को रिहा कर दिया गया है।

राजनीतिक रंग: साजिश या सत्ता का खेल?

इस मामले में सत्ताधारी पक्ष के नेताओं ने बुलडोजर कार्रवाई की मांग की थी और इसे जातिगत आधार पर प्रचारित किया। दूसरी ओर, सपा विधायक संग्राम सिंह यादव ने सीधे तौर पर पूर्व मंत्री उपेंद्र तिवारी पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि उन्होंने राजनीतिक लाभ के लिए पूरे मामले को जातिगत रंग दिया।

विपक्ष की मांग

सपा नेताओं ने कहा कि यह घटना जातिगत नफरत और राजनीतिक महत्वाकांक्षा का नतीजा थी। उन्होंने पुलिस प्रशासन से राजनीतिक साजिश रचने वालों पर भी कार्रवाई की मांग की है।

फिलहाल, पुलिस के खुलासे से यह साफ है कि कानून का दुरुपयोग कर बेगुनाहों को फंसाने की कोशिश की गई। लेकिन बड़ा सवाल यह है – क्या इस साजिश के असली सूत्रधारों पर भी बुलडोजर चलेगा?

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