
उत्तर प्रदेश की राजनीति में आज फिर से हलचल मच गई — सीतापुर जेल से आज़म खान बाहर आ गए हैं।
जी हां, वही आज़म खान जो दो साल से जेल में थे, और जिनके केसों की गिनती करने में गूगल की कैलकुलेटर भी हांफ जाए।
कोर्ट से बेल मिली, और सियासत को Clickbait
कोर्ट ने जमानत दी, लेकिन राजनीति में खिचड़ी पकनी शुरू हो गई। अखिलेश यादव मुस्कुरा रहे हैं, केशव मौर्य तंज कस रहे हैं, और अफवाहें उड़ रही हैं कि ‘अब्बा जान’ बसपा में भी ‘छोटे मियां’ बन सकते हैं। आज़म खान बोले – “मैं जेल में किसी से नहीं मिला। मुझे फोन करने की इजाज़त नहीं थी।”
मतलब, बाहर की दुनिया में जितनी बातें चल रही हैं, उतनी शायद आज़म खुद भी नहीं जानते।
BJP: “हमारा कोई रोल नहीं, भाई कोर्ट का मामला है”
ब्रजेश पाठक ने संविधान वाली लाइन मारी — “हम न्यायालय का सम्मान करते हैं।”
पर केशव मौर्य ने तो तंज का चाय पत्ती छान दी — “सपा में रहें या बसपा में जाएं… 2027 में दोनों की हार तय है।”
(Translation: भाई, आप कहीं भी जाइए, टिकट कटा ही समझिए।)
SP: अखिलेश की राहत और उम्मीदें
सपा प्रमुख अखिलेश यादव बोले:- “हमें न्यायपालिका पर भरोसा था। कोर्ट ने इंसाफ किया। उम्मीद है अब भाजपा झूठे मुकदमे नहीं करेगी।”
यानि सपा की सफाई चालू, और उम्मीद ये कि आज़म अब वापस पार्टी के ‘तेज तर्रार पोस्टर बॉय’ बन जाएंगे, बशर्ते वो बसपा की बस में चढ़ न जाएं।
BSP Entry की अफवाहें: राउता ज़िंदा है
आजम खान के बाहर आते ही बहुजन समाज पार्टी में शामिल होने की अटकलें हवा में हैं — जैसे मानसून में मच्छर। जब आज़म से पूछा गया तो बोले:

“यह वो लोग बताएंगे जो अटकलें लगा रहे हैं।”
यानि ना हां, ना ना, बस सस्पेंस। पार्टी जॉइन होगी या प्रेस कॉन्फ्रेंस?
सपोर्ट मिलेगा या “आपका नंबर इस समय व्यस्त है”?
पता नहीं।
आज़म खान बाहर हैं, अब राजनीति फिर से Netflix बन चुकी है
अब सवाल ये नहीं कि आज़म खान किस पार्टी में जाएंगे, सवाल ये है कि “क्या 2027 से पहले उनके बयानों से फिर वायरल कटिंग होगी या बस मीम बनेगा?”
और एक और सच्चाई — यूपी की राजनीति में आज़म खान का रोल कभी Supporting Actor जैसा नहीं रहा। वो Mainstream Dialogue Writer रहे हैं —अब देखना ये है कि स्क्रिप्ट कौन लिखेगा, और रोल कौन निभाएगा।
अदालत से आज़ादी मिली, अब जनता का फैसला बाकी है
आज़म खान बाहर हैं। राजनीतिक तापमान गरम है। और जनता?
वो देख रही है कि ‘अब्बा जान’ अगला राजनैतिक कदम किसके साथ उठाएंगे।
अखिलेश की SP?
मायावती की BSP?
या फिर कोई नई सियासी स्क्रीनप्ले?
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