
सपा के दिग्गज नेता आज़म खान ने एक बार फिर ज़ुबान खोली और दिल का गुबार भी निकाला। बोले – “अखिलेश यादव मेरे बेटे जैसे हैं, लेकिन मैं सफाई नहीं देता रहूंगा हर बार।” और फिर जो लाइन उन्होंने मारी, वो Twitter पर ट्रेंड करने लायक थी- “गली का कुत्ता भी वैसा खाना नहीं खाता जैसा मुझे जेल में दिया गया!”
(“भाई, इंसान को इंसान ही रहने दो, कुत्तों को मत घसीटो।”)
मुलायम से इश्क, अखिलेश से शिकवा?
मुलायम सिंह यादव को याद करते हुए कहा, “वो मेरी जान थे। अब कोई वैसा नेता नहीं रहा।”
साफ कर दिया कि पार्टी के पुराने दिनों का इश्क तो कायम है, लेकिन आज की सपा से प्यार की उम्मीद न रखें।
“अगर वो नहीं आए, तो मैं ही चला जाऊंगा”
जब उनसे पूछा गया कि अखिलेश मिलने क्यों नहीं आए, तो बोले – “अगर वो नहीं आ सके तो मैं ही चला जाऊंगा।”
आख़िर “खादिम” जो ठहरे पार्टी के!
लेकिन कुछ सेकेंड बाद ही mood switch हुआ और तल्खी में बोले – “मुझे किसी से कोई शिकवा नहीं… लेकिन मैंने किसी को माफ़ नहीं किया।”
(कसम से, इससे गहरा डायलॉग तो वेब सीरीज़ में भी नहीं होता।)
2024 के चुनाव और रामपुर का रण
आज़म बोले – “मैं चाहता था अखिलेश रामपुर से चुनाव लड़ें, लेकिन उन्हें कोई और मना ले गया।”
फिर जो punch मारा वो अखिलेश पर सीधा अटैक था – “अगर मैं मर जाता तो शायद पार्टी को ज़्यादा सीटें मिल जातीं।”
(कसम से, ये लाइन सुनकर !)
“निकाला गया था पार्टी से… और मैं अब सुधरा नहीं हूं!”
आजम ने याद दिलाया कि एक बार पार्टी ने उन्हें निकाल भी दिया था।
“तब से ये ग़लतफ़हमी नहीं पालता कि मैं संस्थापक सदस्य हूं!”
और अंत में बोले – “सुधार गृह से आया हूं, लेकिन अभी सुधरा नहीं हूं!”
(इस लाइन पर हज़ारों memes बनने तय हैं।)
रामपुर के मौलाना को भी नहीं जानते?
रामपुर से मौजूदा सांसद मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी के बारे में बोले – “मैं उन्हें जानता ही नहीं।”
आज़म खान की बातें अगर गौर से सुनी जाएं, तो राजनीति की बजाय इसमें एक फिल्मी ट्रैजिक हीरो की पीड़ा दिखती है – कभी इश्क़ था, अब सिर्फ़ इत्तेफ़ाक है… कभी पार्टी थी, अब सियासी अखाड़ा है।
वो अखिलेश को बेटा मानते हैं, लेकिन भरोसा अब ‘अल्लाह के इंसाफ’ पर है।
क्या अखिलेश यादव अब चुप्पी तोड़ेंगे? या इस सियासी सस्पेंस ड्रामा में अगला एपिसोड आने वाला है?