
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में अयोध्या दीपोत्सव 2025 एक साधारण पर्व नहीं, संस्कृति और सौंदर्य का जीवंत कार्निवाल बन गया है।
इस बार राम की पैड़ी पर बनने वाली 80 हजार दीयों की रंगोली ने न केवल आस्था को जगाया है, बल्कि यूपी की लोककला को इंटरनेशनल स्टेज पर ला खड़ा किया है।
दीपों से सजे चौक में ‘चमकेगा’ श्रीराम का आमंत्रण
चौक पूरने की परंपरा इस बार सिर्फ रंगों और आटे तक सीमित नहीं, बल्कि 80 हजार दीयों की ज्योति से ईश्वर का स्वागत करेगी – मानो श्रीराम खुद कह रहे हों, “मैं आ रहा हूँ, अयोध्या सजाओ!”
इस रंगोली में कलश, स्वास्तिक और कमल पुष्प जैसे पारंपरिक प्रतीकों का ऐसा संगम है जो Instagram को भी दुआ देगा।
नारी शक्ति की चमक: 50 छात्राओं की टीम का मास्टरपीस
यह चमत्कारी रंगोली कोई कॉर्पोरेट प्रोजेक्ट नहीं – बल्कि अवध विश्वविद्यालय की 50 बेटियों का पसीना और परिश्रम है।
डॉ. सरिता द्विवेदी, संयोजक, गर्व से कहती हैं – “यह रंगोली हमारे लिए केवल कला नहीं, आध्यात्मिक समर्पण है।”
इन छात्राओं ने दीयों की सेटिंग से लेकर रंग भरने तक, हर लाइन को श्रद्धा से भरा है। इतनी नफासत तो शायद पॉलिटिशियनों के घोषणापत्र में भी न हो!

रंग, मिट्टी और आस्था का ‘त्रिवेणी संगम’
इस रंगोली में प्रयोग हो रहे हैं – पारंपरिक गेरू और चावल के आटे से बने रंग, मिट्टी के लोकल कारीगरों द्वारा बनाए गए दीये और हर दीये में श्रद्धा की लौ। जैसे ही सूर्य अस्त होगा और दीप जलेंगे, राम की पैड़ी एक दिव्य पोस्टकार्ड जैसी लगेगी – जिसे देख खुद देवता भी कहें “वाह”!
दीपों से बड़ी डिप्लोमेसी: योगी मॉडल ऑफ कल्चरल कनेक्ट
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सोच स्पष्ट है – “दीपोत्सव सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि संस्कृति, नवाचार और लोककला का ग्लोबल स्टेटमेंट है।”
इस आयोजन के जरिए अयोध्या बन रही है भारत की ‘कल्चरल कैपिटल’, जहां हर दीया एक सॉफ्ट पॉवर टूल है और हर रंगोली पैटर्न एक विजिटिंग कार्ड।
दीप बनें तारे और धरती बोले “जय श्रीराम”
दीपोत्सव की रात जब राम की पैड़ी पर 80 हजार दीयों की रंगोली जगमगाएगी, तो लोग सिर्फ तस्वीरें नहीं लेंगे – वो भावनाएं कैप्चर करेंगे। उस रात, हर दीया बोलेगा “जय श्रीराम”, हर रंगोली बोलेगी “यह भारत है”, और अयोध्या बोलेगी – “यहां सिर्फ राम नहीं, रंग, रचनात्मकता और राष्ट्रभावना भी रहते हैं।”
आरोप: सम्राट चौधरी की डिग्री फर्जी, 10वीं पास भी हैं या नहीं, ये भी नहीं पता!