
केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल इन दिनों राजनीति में ना सिर्फ विधिक बातें कर रहे हैं, बल्कि व्यंग्य के हल्के तीर भी छोड़ रहे हैं। जोधपुर पहुंचे मेघवाल ने मीडिया से बातचीत में राहुल गांधी और विपक्ष पर सीधा निशाना साधा, खासकर संवैधानिक संस्थाओं पर टिप्पणियों को लेकर।
“चुनाव आयोग कोई कॉल सेंटर नहीं कि जब चाहो, बोल दो ‘सर्विस खराब है’।”
ऑपरेशन सिंदूर: संसद में ड्रामा या ड्राफ्ट?
‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर संसद में चर्चा को लेकर मेघवाल ने कहा कि सरकार ने विपक्ष की मांग मान ली, चर्चा भी हो गई, लेकिन राज्यसभा में ‘रिएक्शन ज्यादा, रिस्पॉन्स कम’ मिला।
“गृह मंत्री बोल रहे थे और विपक्ष कान में ईयरप्लग डालकर बैठा था। पीएम का भाषण लोकसभा में हो चुका था, फिर हर जगह डिमांड करना कौन सी संसदीय मर्यादा है?”
यानि अगर संसद Netflix होता, तो विपक्ष “स्किप” बटन ढूंढ रहा होता!
बिहार चुनाव और वोटर लिस्ट: मर चुके लोग भी वोट डालेंगे?
बिहार चुनाव को लेकर भी मेघवाल का हमला तीखा था। उन्होंने राहुल गांधी के आरोपों पर कहा:
“भाई, अगर कोई मर चुका है तो वोटर लिस्ट में उसका नाम नहीं होना चाहिए। इतनी बेसिक बात भी नहीं समझ पा रहे राहुल जी? और ऊपर से चुनाव आयोग को धमकी!”
मालेगांव केस: ‘हिंदू आतंक’ का प्रोपेगेंडा या पॉलिटिकल नौटंकी?
मेघवाल ने मालेगांव विस्फोट और ‘हिंदू आतंकवाद’ शब्दावली को कांग्रेस की साज़िश बताया। उन्होंने कहा कि:
“UPA के ज़माने में जो नैरेटिव गढ़ा गया, वो एक झूठ था। पी. चिदंबरम और शिंदे ने इस आग में घी डाला। अब देश समझ चुका है कि वो प्लॉट बॉलीवुड स्क्रिप्ट से कम नहीं था।”
संवैधानिक संस्थाएं: न्यायपालिका है, इंस्टाग्राम पेज नहीं!
मेघवाल का सबसे गंभीर आरोप था कि विपक्ष, खासकर राहुल गांधी, संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने और डराने की कोशिश कर रहे हैं।
“ये लोकतंत्र है, कोई ट्विटर पोल नहीं। न्यायपालिका, चुनाव आयोग और संसद को डराकर राजनीति नहीं चलेगी।”
संक्षेप में: “Democracy runs on law, not likes!”
विपक्ष बोले– ‘संविधान खतरे में’, मेघवाल बोले– ‘ड्रामा ओवर, अब काम कीजिए!’
विपक्ष का कहना है कि सरकार संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग कर रही है, जबकि सत्ता पक्ष मानता है कि विपक्ष इन संस्थाओं को Public Park समझ रहा है — कभी भी जाएं, बैठें, और आलोचना कर निकल जाएं।
इस जंग में वोटर बीच में फंसा है, जो बस ये जानना चाहता है कि:
“अरे भैया, आखिर असली लोकतंत्र कहां है — संसद में, ट्विटर पर या फिर किसी अगली प्रेस कॉन्फ्रेंस में?”