
25 जून 1975 की रात भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में एक ऐसा मोड़ लाया, जिसे ‘काला अध्याय’ कहा जाता है। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सिफारिश पर राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने देश में आपातकाल घोषित किया। यह दौर 21 मार्च 1977 तक चला।
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पीएम मोदी का हमला – “लोकतंत्र को बंधक बना लिया गया था”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर इस दिन को याद करते हुए कहा,
“यह भारतीय लोकतंत्र के इतिहास के सबसे अंधकारमय अध्याय में से एक है।”
उन्होंने कहा कि उस समय:
संविधान की आत्मा को दरकिनार किया गया
मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए
प्रेस की स्वतंत्रता को दबा दिया गया
हजारों नेताओं, कार्यकर्ताओं, छात्रों और आम लोगों को जेल में डाला गया
कांग्रेस पर सीधा हमला
पीएम मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा,
“ऐसा लग रहा था जैसे सत्ता में बैठी कांग्रेस सरकार ने लोकतंत्र को बंधक बना लिया था।”
उनके इस बयान से साफ है कि बीजेपी इस मौके को कांग्रेस के अतीत को उजागर करने के तौर पर देख रही है।
क्या हुआ था आपातकाल के दौरान?
विपक्षी नेताओं को बिना मुकदमे जेल में डाला गया। सेंसरशिप लागू कर दी गई – अखबारों को खबरें छापने से रोका गया। नागरिक अधिकारों का हनन हुआ। राजनीतिक असहमति को कुचल दिया गया।
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