रिश्तों में घुली मिठास ही असली सुख है! वरना पछतावा बहुत महंगा पड़ता है

आशीष शर्मा (ऋषि भारद्वाज)
आशीष शर्मा (ऋषि भारद्वाज)

हम सब अपने-अपने जीवन की दौड़ में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि सबसे ज़रूरी चीज़ — हमारे अपने — पीछे छूट जाते हैं। कभी वक़्त नहीं निकालते, कभी Ego बीच में आ जाता है। लेकिन जब वो लोग चले जाते हैं, तो मन में सिर्फ़ पछतावा रह जाता है।

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जिंदगी का कोई भरोसा नहीं

किसी ने सही कहा है — “क्या पता कब जीवन की शाम हो जाए।” एक क्षण में सब कुछ बदल सकता है। जिनसे आप आज रूठे हैं, क्या पता कल वे हों ही न! तब मन के अंदर घुटन, अफ़सोस और अकेलापन ही रह जाता है।

कड़वाहट से नहीं, बातों से सुलझते हैं रिश्ते

रिश्तों में तकरार होती है, यह स्वाभाविक है। लेकिन चुप रह जाना या दूर हो जाना समाधान नहीं। अपनेपन से बात कीजिए, माफ़ करना और समझाना सीखिए।

प्यार दो, सुकून पाओ

सच्ची बात तो यह है कि पैसे, शोहरत, और दौलत के आगे भी एक सुकून होता है — जो अपनों की मुस्कुराहट में मिलता है। इसलिए जीवन में जहां भी हो, अपने परिवार और जिन्हें “अपने” मानते हो — उनके साथ अच्छा व्यवहार करो।

आज थोड़ा झुक जाओ… कल ज़िंदगी सिर झुका सकती है

जीवन बहुत छोटा है, इसलिए हर दिन को इस तरह जियो कि कल पछताना न पड़े। अपनों से प्यार करना सीखो — ये ही असली “जीवन की समझदारी” है।

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